इन्दौर, 27 मार्च। करीब 10 साल पुराने मारपीट के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) व पूर्व सांसद प्रेमचंंद बौरासी ‘गुड्डू’ सहित 6 लोगों को इन्दौर विशेष न्यायालय ने एक-एक साल कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने इन अपराधियों पर 5-5 हजार रू. का जुर्माना भी लगाया है। दिग्विजय सिंह व अन्य पर 17 जुलाई 2011 को उज्जैन में भाजयुमो कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट का आरोप था।
गौर करने वाली बात यह भी है कि एफआईआर में दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) का नाम नहीं था, लेकिन बाद में अभियोजन पक्ष द्वारा धारा 319 के तहत एक आवेदन देकर उनका नाम जुड़वाया गया था। प्रकरण में सुनवाई भोपाल के विशेष न्यायालय में चल रही थी, लेकिन विगत दिनों जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की सुनवाई के लिए इन्दौर में विशेष न्यायालय गठित होने के बाद प्रकरण भोपाल से यह प्रकरण इन्दौर विशेष न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था।
शनिवार को विशेष न्यायाधीश मुकेश नाथ ने मामले में फैसला सुनाया। सजा सुनाने के कुछ ही देर बाद कोर्ट ने दिग्विजय सिंह और अन्य अपराधियों को 25-25 हजार के मुचलके पर जमानत दे दी।
बता दें कि मामला जुलाई 2011 का है, जब 17 जुलाई को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उज्जैन गये थे, उस वक्त भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के अन्य नेताओं को काले झंडे़ दिखाए थे। इससे नाराज़ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने भाजयुमो कार्यकर्ताओं की पिटाई कर दी थी।
घटना में भाजयुमो कार्यकर्ता अमय आप्टे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस मामले में शिकायत उज्जैन के जीवाजी गंज पुलिस थाने में कांग्रेस नेताओं पर जानलेवा हमले की कोशिश का मामला पंजीबद्ध किया गया था।
एडवोकेट कमल गुप्ता के अनुसार प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने एक आवेदन दिया था, जिसमें कहा गया था कि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भी संलिप्तता है। उनका नाम भी एफआईआर में जोड़ा जाये। न्यायालय ने इस आवेदन को स्वीकार करते हुए सिंह का नाम एफआइआर में जोड़ा गया।
आरोपियों ने कोर्ट में तर्क रखा था कि दिग्विजय सिंह को 2011 में जेड सुरक्षा मिली थी। ऐसे में संभव नहीं है कि वे सुरक्षा घेरा तोड़कर जाए और किसी के साथ मारपीट करें। न्यायालय ने इन दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया था।
इस प्रकरण में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh), पूर्व सांसद प्रेमचंद बौरासी ‘गुड्डू’, तराना से विधायक महेश परमार, दिलीप चौधरी, जय सिंह दरबार, असलम लाला, अनंत नारायण मीणा, मुकेश भाटी और हेमंत चौहान को आरोपी बनाया गया था।
विशेष न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में तीन आरोपियों – मुकेश भाटी, हेमंत चौहान और तराना विधायक महेश परमार को बरी कर दिया है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू, दिलीप चौधरी, जयसिंह दरबार, असलम लाला, अनंत नारायण मीणा को एक-एक साल की सजा और पांच-पांच हजार रूपये अर्थदंड की सजा से दंडित किया।
न्यायालय के फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि यह लगभग 10 साल पुराना केस है, झूठा केस है। हम लोगों का नाम तो एफआईआर में भी दर्ज नहीं था। बाद में राजनीतिक दबाव के कारण हम लोगों का नाम जोड़ा गया। जो फैसला आया है, शीर्ष अदालत में उसकी अपील करेंगे.