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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना महामारी से बचाव के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और इसी क्रम में सरकार के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लखनऊ के 10 प्राइवेट हॉस्पिटल्स समेत 663 प्राइवेट अस्पतालों की आपातकालीन सेवा के लिए एक सूची जारी की है। इन निजी चिकित्सालयों को कोरोना संक्रमण की जांच और उपचार का अधिकार दे दिया गया है।

private hospital

कोरोना से संक्रमित या भय से जाँच कराने वाले ज्यादातर लोगों की भी पहली पसंद निजी अस्पताल ही है, जिसका कारण व्यक्ति की अपनी निजीता है। अपनी निजीता बचाये रखने के लोग निजी अस्पतालों का रुख करते हैं, और ऐसे में निजी अस्पताल भी उनकी सेवा में तत्पर रहते है। इसी में कुछ निजी अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने पर सेनेटाइज करने के लिए बंद भी किया गया।

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लखनऊ में गोमती नगर स्थित एक प्रतिष्ठित प्राइवेट हॉस्पिटल में पिछले दिनों एक मरीज पहुंचा और उसकी सामान्य जांच की गई। जब उसकी जांच रिपोर्ट आई तो भयभीत डॉक्टर स्वयं क्वारंटाइन हो गये। यही नहीं उस प्राइवेट हॉस्पिटल को सेनेटाइज किया गया। अब उस प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टरों का कहना है कि प्राइवेट हॉस्पिटल हमेशा से लोगों की पहली पसंद रहे हैं। इसका कारण लोगों की निजता होती है। प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीज आसानी से उपचार करा कर चले जाते हैं और किसी को पता तक नहीं चल पाता है। उन्हें दवा के लाइन और अन्य दौड़ भाग से भी मुक्ति मिलती है।

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प्राइवेट अस्पतालों के अलावा पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान भी लोगों की पसंद है। कोरोना से संक्रमित लोगों द्वारा प्राइवेट हॉस्पिटल के बाद सबसे ज्यादा पीजीआई को पसंद किया गया है। यहाँ सर्वाधिक कोरोना पाॅजिटिव मरीज भर्ती हैं।

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कोरोना महामारी के दौर में प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य एस्पर्ट भी प्राइवेट हॉस्पिटल्स की चिकित्सा को बेहतर बता रहे हैं। हर जनपद के प्रमुख निजी अस्पतालों का नाम नंबर स्वास्थ्य विभाग की ओर से उपलब्ध कराने के पीछे भी इसी को कारण बताया जा रहा है। जिससे संबंधित जिले के जिलाधिकारी, स्वास्थ्य अधिकारी और कोरोना संक्रमित लोग अपने को सुरक्षित करने के लिए निजी अस्पतालों की भी मदद ले सकें।