Up kiran,Digital Desk : कभी-कभी किस्मत ऐसा खेल खेलती है कि इंसान बस देखता रह जाता है। पिथौरागढ़ के रहने वाले सुरेंद्र सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। जर्मनी में काम करने का हुनर, खटीमा में नए घर का सपना और एक खुशहाल परिवार, सब कुछ था। लेकिन गोवा के एक नाइट क्लब में लगी आग ने एक झटके में सब कुछ राख कर दिया। उस भयानक आग में उत्तराखंड के नौ लोग जिंदा जल गए, जिनमें एक नाम सुरेंद्र का भी था।
सबसे दर्दनाक बात यह है कि सुरेंद्र उस मौत के क्लब में नौकरी करने सिर्फ एक हफ्ता पहले ही पहुंचे थे। वह तो बस कुछ दिन काम करके अपने सपने पूरे करने की राह देख रहे थे, लेकिन किसे पता था कि मौत वहां उनका इंतजार कर रही थी।
जर्मनी बसने का सपना रह गया अधूरा
सुरेंद्र के पिता अमर सिंह ने रोते हुए बताया कि उनका बेटा एक बेहतरीन कुक था। उसने बेंगलुरु से अपने करियर की शुरुआत की और अपनी मेहनत के दम पर जर्मनी तक पहुंच गया। चार साल विदेश में काम करने के बाद वह कुछ महीने पहले ही घर लौटा था और वापस जर्मनी जाने की तैयारी कर रहा था। वीजा में कुछ दिक्कतें आ रही थीं, जिसमें थोड़ा समय लग रहा था। खाली बैठने के बजाय, उसने कुछ समय के लिए गोवा में काम करने का फैसला किया, लेकिन यह फैसला उसकी जिंदगी का आखिरी फैसला साबित हुआ।
नया घर बन रहा था, पत्नी देख रही थी काम
तीन साल पहले ही सुरेंद्र की शादी मनीषा से हुई थी। दोनों ने साथ मिलकर खटीमा में एक नए घर का सपना देखा था, जिसका काम भी चल रहा था। पत्नी मनीषा वहीं रहकर घर बनवा रही थी और पति के लौटने का इंतजार कर रही थी। घर का काम अभी अधूरा ही था कि सुरेंद्र की मौत की खबर आ गई। अब उस अधूरे घर में सिर्फ खामोशी और मातम पसरा है। मनीषा को यकीन ही नहीं हो रहा कि जिसके साथ उसने जिंदगी के सपने बुने थे, वो अब इस दुनिया में नहीं है।
सुरेंद्र के गांव जमराड़ी सिमली में भी खबर पहुंचने के बाद से शोक की लहर है। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। एक हफ्ते पहले जो बेटा काम के लिए घर से निकला था, अब उसकी लाश का इंतजार हो रहा है।
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