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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की नीतीश कुमार सरकार में ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी एक नई भूमिका में नजर आने वाले हैं। हाल ही में उन्हें पॉलिटिकल साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयनित किया गया है। यह कदम उनके राजनीतिक और शैक्षणिक जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ है।

अशोक चौधरी का चयन बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा किया गया है जिसने पॉलिटिकल साइंस के लिए कुल 274 उम्मीदवारों का चयन किया है। विशेष बात यह है कि चौधरी का चयन एससी श्रेणी में हुआ है और यह उनके योगदान और शिक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

चौधरी ने अपनी शिक्षा में पीएचडी तक की है और वे बिहार विधान परिषद के सदस्य भी हैं। यह उपलब्धि उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है जो राजनीति में आने के बाद भी शिक्षा और ज्ञान की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं।

बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने 2020 में विभिन्न कॉलेजों में प्रोफेसर के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इसके बाद आयोग ने एक साक्षात्कार प्रक्रिया आयोजित की थी जिसमें उम्मीदवारों की अधिकतम आयु सीमा 55 वर्ष निर्धारित की गई थी। अब आयोग ने इसके फाइनल परिणाम की घोषणा की है और अशोक चौधरी का नाम इस लिस्ट में शामिल हो गया है।

राजनीतिक यात्रा और परिवार की पृष्ठभूमि

अशोक चौधरी की राजनीतिक यात्रा भी काफी रोचक है। वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी सहयोगियों में से एक माने जाते हैं और कांग्रेस पार्टी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। वह शेखपुरा की बरबीघा सीट से दो बार विधायक रहे और राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री पद पर भी कार्यरत रहे थे।

चौधरी की राजनीति का एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब 2018 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़कर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का दामन थाम लिया। यह बदलाव बिहार की राजनीति में बड़ा संदेश देने वाला था क्योंकि वह कांग्रेस के कद्दावर नेता महावीर चौधरी के बेटे थे और पार्टी में उनकी अहमियत थी।

नया सामाजिक मोर्चा

चौधरी दलित समुदाय से आते हैं जो बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा उनकी बेटी भी सक्रिय राजनीति में हैं और वर्तमान में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से समस्तीपुर से सांसद हैं। यह बात उनके परिवार की राजनीतिक विरासत को और मजबूत करती है जो समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़ी है।

अशोक चौधरी का यह नया शैक्षिक मोर्चा एक उदाहरण हो सकता है कि कैसे राजनीति और शिक्षा दोनों को साथ लाकर समाज के लिए सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। इस चयन के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अपने नए कार्यक्षेत्र में किस तरह से अपनी भूमिका निभाते हैं और किस तरह से समाज और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देते हैं।

 

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