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Up Kiran, Digital Desk: बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। विपक्ष और सत्ताधारी दल के बीच तनाव ने बुधवार को हिंसक रूप ले लिया, जब गोपालगंज में आयोजित एक राजनीतिक रैली के दौरान झड़पें शुरू हो गईं। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई और दर्जनों घायल हो गए। खास बात यह है कि यह इलाका प्रधानमंत्री शेख हसीना का गृहनगर माना जाता है, जहां उनके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब-उर-रहमान का जन्म हुआ था।
रैली से पहले सड़कों पर तनाव, फिर हिंसा में बदला माहौल
घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई जब नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) ने गोपालगंज के पोरा पार्क में रैली आयोजित करने की घोषणा की। इस रैली का अवामी लीग के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, रैली को रोकने के लिए अवामी लीग के समर्थकों ने सड़कों पर बाधाएं खड़ी कर दीं पेड़ों को काटकर रास्तों में डाल दिया गया, और कथित तौर पर हथियारबंद समूहों ने रैली में जाने वालों को घेरने की कोशिश की।
स्थिति तब और बिगड़ गई जब सरकारी वाहनों को आग के हवाले करने और रैली स्थल पर हमले की खबरें सामने आईं। झड़पें सुबह से देर शाम तक रुक-रुक कर चलती रहीं, जिनमें न केवल राजनीतिक कार्यकर्ता घायल हुए, बल्कि कुछ निर्दोष नागरिक भी इसकी चपेट में आ गए।
गोपालगंज में कर्फ्यू और परीक्षा स्थगित
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने गोपालगंज समेत दक्षिणी जिले में कर्फ्यू लागू कर दिया है। जिले की सभी शिक्षण संस्थाओं में परीक्षाएं फिलहाल स्थगित कर दी गई हैं। सिविल सर्जन डॉ. अबू सैयद मोहम्मद फारूक के मुताबिक, हिंसा में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और कम से कम 13 अन्य घायल हैं।
मारे गए निर्दोष नागरिकों की पीड़ा
मृतकों की पहचान दीप्तो साहा, रमजान काजी, सोहले और ईमान के रूप में हुई है। इनमें से दीप्तो साहा के परिवार ने बताया कि वह किसी राजनीतिक संगठन से जुड़ा नहीं था। घटना के वक्त वह दोपहर का भोजन करने के बाद दुकान लौट रहा था, तभी रास्ते में उसे गोली मार दी गई। यह हादसा उस डरावनी हकीकत को सामने लाता है, जहां आम नागरिक भी राजनीतिक संघर्षों की चपेट में आ जाते हैं।
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