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Up Kiran, Digital Desk: बिहार के पटना जिले के बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में राजनीति हमेशा से ही गहरी खिचड़ी रही है, जहां एक तरफ राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र होने का ऐतिहासिक महत्व है, वहीं दूसरी तरफ यह सीट एनडीए के लिए प्रतिष्ठा की प्रतीक बन गई है। बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास काफी दिलचस्प है, क्योंकि 1995 तक यह सीट कांग्रेस के प्रभाव में रही, लेकिन इसके बाद यह सीट आरजेडी और बीजेपी के बीच ही दांव पर रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के अनिरुद्ध यादव ने विजय हासिल की थी, जबकि 2015 में भाजपा के रणविजय यादव उर्फ लल्लू मुखिया ने यह सीट जीती थी।

सियासी पलटवार: कौन बनेगा एनडीए का उम्मीदवार?

अब सवाल यह है कि बख्तियारपुर सीट के लिए इस बार एनडीए की ओर से किसे टिकट मिलेगा। माना जा रहा है कि आरजेडी अपने मौजूदा विधायक अनिरुद्ध यादव को ही फिर से टिकट देने की योजना बना रही है। वहीं, एनडीए में इस सीट को लेकर भारी दावेदारी हो रही है। भाजपा को यह सीट दी जाएगी, क्योंकि बख्तियारपुर हमेशा से भाजपा के कोटे में रही है। हालांकि, भाजपा के अंदर इस सीट को लेकर कई पुराने चेहरों में दावेदारी को लेकर असमंजस बना हुआ है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर क्षेत्र की यह सीट 2020 के बाद से भाजपा के लिए काफी अहम हो गई है। भाजपा के पुराने चेहरे, जैसे रणविजय यादव उर्फ लल्लू मुखिया, जो 2015 में विधायक बने थे, का प्रदर्शन 2020 के बाद से लगातार खराब रहा है। उन्हें सिर्फ विधानसभा चुनाव में ही नहीं, बल्कि पंचायत चुनावों में भी हार का सामना करना पड़ा था। इसका असर उनकी टिकट दावेदारी पर हो सकता है, खासकर जब उनके समर्थित उम्मीदवारों को भी हार का सामना करना पड़ा।

नए चेहरों की संभावनाएं

सूत्रों के अनुसार, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस बार किसी नए और युवा चेहरे पर दांव लगाने की योजना बना सकता है। इस दिशा में बख्तियारपुर के जाने-माने कार्यकर्ता सुधीर कुमार यादव का नाम उभरकर सामने आ रहा है। सुधीर यादव वह शख्स हैं जिन्होंने राजद के गढ़ को भाजपा के पक्ष में मोड़ा। 1999 में जब यादव समाज के अधिकांश लोग राजद से जुड़ गए थे, तब सुधीर यादव ने भाजपा के झंडे को बख्तियारपुर में फहराया और पार्टी की जमीनी जड़ें मजबूत कीं। वह भाजपा सांसद शत्रुध्न सिन्हा के सांसद प्रतिनिधि रहे और उन्होंने डॉ. विनोद यादव को जीत दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

जातीय समीकरण: सुधीर यादव की ताकत

सुधीर कुमार यादव के पास एक मजबूत जातीय आधार भी है, जो उन्हें चुनावी मैदान में और भी मजबूत बनाता है। वह यादव समुदाय के कृष्नौत वर्ग से आते हैं, जो बख्तियारपुर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण वोटबैंक है। बख्तियारपुर, खुसरूपुर, दनियावां और आसपास के क्षेत्रों में यादव वोटरों की अच्छी खासी संख्या है, जो करीब 90 हजार के आसपास है। इसके अलावा, अन्य जातीय वर्गों का भी प्रभाव क्षेत्र में मौजूद है, जैसे कि राजपूत, भूमिहार, मुस्लिम, कुर्मी और अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटर, जिनकी संख्या लाखों में है। सुधीर यादव इन जातीय समीकरणों को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, ताकि वह चुनावी मैदान में अपनी पकड़ मजबूत बना सकें।

भविष्य में संभावनाओं का खेल

वर्तमान में, बख्तियारपुर विधानसभा सीट पर भाजपा और आरजेडी के बीच की सियासी जंग ने पूरे क्षेत्र का माहौल गर्म कर दिया है। कांग्रेस के इतिहास से लेकर 2020 तक के चुनावी परिणामों तक, यह सीट हमेशा किसी न किसी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा और सम्मान की प्रतीक रही है। बख्तियारपुर की राजनीति में अब एक नया मोड़ आने वाला है, जहां पुराने चेहरे और नए चेहरे दोनों के बीच जंग छिड़ी हुई है।