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Up Kiran, Digital Desk: अगर आप प्लेटिनम के गहने खरीदने का शौक रखते हैं या ज्वेलरी कारोबार से जुड़े हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है. भारत सरकार ने अब प्लेटिनम के आयात को लेकर नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है. कुछ खास तरह के प्लेटिनम आभूषणों को अब 'मुक्त' (Free) श्रेणी से हटाकर 'प्रतिबंधित' (Restricted) श्रेणी में डाल दिया गया है, जिसका सीधा मतलब है कि अब आयातकों को विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) से लाइसेंस लेना होगा. यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और अप्रैल 2026 तक रहेगा.

सरकार ने क्यों लिया यह 'कड़ा' फैसला?

आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन सरकार ने यह फैसला ऐसे ही नहीं लिया है. इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:

  1. FTAs का दुरुपयोग रोकना: सबसे बड़ी वजह है 'मुक्त व्यापार समझौतों' (Free Trade Agreements - FTAs) का गलत इस्तेमाल. कुछ आयातक इन समझौतों का फायदा उठाकर थाईलैंड जैसे देशों से बिना जड़ाऊ आभूषणों को गलत तरीके से आयात कर रहे थे, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था. खासकर ऐसे उत्पाद, जिनमें 90% तक सोना होता था और केवल थोड़ी मात्रा में प्लेटिनम होता था, उन्हें ड्यूटी फ्री आयात किया जा रहा था.
  2. घरेलू उद्योग को बचाना: आयात बढ़ने से भारतीय ज्वेलरी उद्योग, खासकर प्लैटिनम ज्वेलरी बनाने वाले स्थानीय निर्माताओं को भारी नुकसान हो रहा था नए प्रतिबंध से उन्हें अनुचित विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाया जा सकेगा.
  3. शुक्ल चोरी पर रोक: कई डीलर्स प्लेटिनम आयात नियमों में खामियों का फायदा उठाकर 4 से 4.5 फीसदी तक का मुनाफा कमा रहे थे, जो करोड़ों रुपये के बराबर था. इन आभूषणों को आयात करके पिघलाया जाता था और फिर प्लेटिनम बार के रूप में घरेलू बाजार में बेचा जाता था, जिससे 6.4 फीसदी तक की ड्यूटी बच जाती थी.
  4. पारदर्शिता और निगरानी: सरकार का मकसद बाजार में पारदर्शिता लाना और अवैध आयात पर लगाम लगाना भी है. डीजीएफटी अब आयात पर और कड़ी नजर रखेगा.

यह फैसला सितंबर 2025 में चांदी के आभूषणों पर लगाए गए ऐसे ही प्रतिबंध के बाद आया है, जो दिखाता है कि सरकार ऐसे उल्लंघनों को लेकर काफी गंभीर है.

आयातकों और उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ेगा?

अब आयातकों को इन आभूषणों को भारत लाने के लिए DGFT से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा.इसका मतलब है कि थोड़े समय के लिए आपूर्ति पर थोड़ा असर पड़ सकता है, लेकिन लंबे समय में यह कदम घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे सकता है और स्थानीय बाजार को मजबूत कर सकता है.उपभोक्ताओं के लिए, गुणवत्ता और प्रामाणिकता को लेकर कुछ बेहतर नियंत्रण होने की उम्मीद है, हालांकि कुछ समय के लिए कीमतों पर असर दिख सकता है.

यह कदम भारत के गहने उद्योग को उचित व्यापारिक व्यवहारों के तहत सुरक्षित रखने और सरकारी राजस्व की चोरी रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है.

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