
बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले सप्ताह दक्षिण पूर्व एशिया के तीन प्रमुख देशों—वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया—की यात्रा पर जा रहे हैं। यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिका द्वारा चीन के सामानों पर 145 प्रतिशत तक टैरिफ लगाए जाने की घोषणा की गई है। यह विदेश दौरा शी जिनपिंग का इस नए टैरिफ के बाद पहला प्रमुख अंतरराष्ट्रीय दौरा होगा, जिससे क्षेत्रीय सहयोग और रणनीतिक संतुलन की दिशा में चीन की पहल को बल मिलने की संभावना है।
क्यों अहम हैं ये तीन देश?
ये तीनों देश—वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया—आसियान समूह के सदस्य हैं, और चीन के साथ इनके व्यापारिक संबंध बेहद सक्रिय हैं। 2023 में चीन का आसियान के साथ कुल व्यापार 962.28 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा, जिसमें चीन का निर्यात 575 अरब डॉलर से अधिक रहा।
मलेशिया-चीन संबंध
दोनों देशों के संबंध सामान्यत: मजबूत और स्थिर रहे हैं।
चीन, मलेशिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
कई इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं दोनों देशों के बीच सहयोग का आधार बनी हुई हैं।
हालांकि, दक्षिण चीन सागर विवाद कभी-कभी मतभेद पैदा करता है।
मलेशिया में चीनी मूल की आबादी का भी राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव है।
वियतनाम-चीन संबंध
ऐतिहासिक रूप से तनावपूर्ण रहे हैं, विशेष रूप से 1979 के युद्ध के बाद।
सीमा विवाद और दक्षिण चीन सागर पर टकराव अब भी प्रमुख मुद्दे हैं।
नौसेना स्तर पर दोनों देशों में टकराव की घटनाएं हो चुकी हैं।
बावजूद इसके, चीन वियतनाम का सबसे बड़ा आयात स्रोत है और व्यापारिक संबंध मजबूत बने हुए हैं।
कंबोडिया-चीन संबंध
कंबोडिया चीन का प्रमुख रणनीतिक सहयोगी बनकर उभरा है।
चीन वहां सबसे बड़ा निवेशक और आर्थिक सहायता देने वाला देश है।
कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में चीन ने निवेश किया है।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कंबोडिया अक्सर चीन का समर्थन करता है।
विश्लेषकों का मानना है कि कंबोडिया ASEAN में चीन के हितों की रक्षा करता है।