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Up Kiran, Digital Desk: केंद्र सरकार ने दो साल पहले 2 मिलीग्राम क्लोरफेनिरामाइन मैलिएट और 5 मिलीग्राम फिनाइलेफ्राइन हाइड्रोक्लोराइड वाले कफ सिरप के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था। इस फॉर्मूले में बनी दवा कोल्ड्रिफ से मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 17 बच्चों की जान जा चुकी है।

18 दिसंबर 2023 को जारी निर्देश में कहा गया कि ये दवाएँ चार साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इनका चिकित्सीय लाभ कम और जोखिम अधिक होता है। साथ ही, दवा कंपनियों को इस पर चेतावनी लेबल लगाना अनिवार्य कर दिया गया था।

फिर भी, कई दवा कंपनियों ने इस नियम की अनदेखी की। कोल्ड्रिफ कफ सिरप में प्रयोग होने वाले हानिकारक तत्वों की पहचान होने के बावजूद, इसके पैकेजिंग पर कोई चेतावनी नहीं लगी।

मध्य प्रदेश स्थित श्री सैन फार्मा जैसी कंपनियां WHO-GMP प्रमाणन के लिए भी आवेदन नहीं कर पाई हैं। देशभर में कुल 5,308 MSME दवा कंपनियों में से केवल 3,838 ने प्रमाणन हासिल किया है।

ऑनलाइन राष्ट्रीय औषधि लाइसेंसिंग प्रणाली (ONDLS) की शुरुआत हुई है, लेकिन सिर्फ 18 राज्यों ने इसे अपनाया है, बाकी राज्य अभी भी निष्क्रिय हैं।

तमिलनाडु के औषधि नियंत्रण विभाग ने कोल्ड्रिफ के निर्माण संयंत्र का निरीक्षण किया, जहां 350 से अधिक गुणवत्ता उल्लंघन पाए गए।

परीक्षण में सिरप में हानिकारक रसायन प्रोपिलीन ग्लाइकॉल और डायएथिलीन ग्लाइकॉल पाए गए, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

इस घातक दवा के कारण 17 बच्चों की मौत की खबर ने दवा सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।