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राजस्थान में प्रत्येक इलेक्शन में सत्ता विरोधी लहर देखने को मिली है। बीते तीस वर्षो में प्रदेश में कोई भी सियासी दल निरंतर  २ बार सत्ता में नहीं रही है। २०२३ में भी वही इतिहास दोहराया गया। राज्य की अशोक गहलोत सरकार निरंतर इस साल परंपरा तोड़ने का दावा कर रही थी। खुद गहलोत अक्सर ये 'जादू' दिखाने का दावा करते थे। ऐसे में आख़िर कांग्रेस की प्रदेश में हार क्यों हुई? इस पर विधानसभा अध्यक्ष और प्रदेश में पार्टी के आला नेता सी. पी. जोशी ने दलील दी है।

राजस्थान में क्या हुआ?

आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में कांग्रेस की बड़ी हार हुई है। भारतीय जनता पार्टी ने 199 में से 115 सीटें जीतीं। परन्तु  कांग्रेस को सिर्फ उन्ह्तर सीटें मिलीं। भारत आदिवासी पार्टी ने 3 सीटें जीती हैं, BSP ने दो सीटें जीती हैं और रालोद ने 1 सीट जीती है और 8 निर्दलीय प्रत्याशी चुने गए हैं। तो राजस्थान में एग्जिट पोल्स की भविष्यवाणी करीब करीब सच हो गई है।

सीपी जोश ने कहा कि बीते इलेक्शन में कांग्रेस को 39 फीसदी वोट मिले थे। इस चुनाव में भी कांग्रेस ने इन वोटों को बरकरार रखा है। हमारी हार का असली कारण यह है कि ऐसे मामलों में आपको एक निश्चित रणनीति बनानी होगी और अपना मतदान प्रतिशत बढ़ाना होगा। यह तो मानना ​​ही पड़ेगा कि भाजपा ने यह बहुत अच्छा किया है। हमें इसके लिए प्रयास करना होगा।

उन्होंने आगे कहा कि गहलोत सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ। हम इन योजनाओं का उपयोग करके मतदान प्रतिशत बढ़ाने में विफल रहे। भाजपा ने दलीय व्यवस्था लागू करके यह अच्छा किया। मैंने सभी 200 निर्वाचन क्षेत्रों की समीक्षा नहीं की है। 
 

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