बीजेपी ने दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटों पर फिर से जीत हासिल कर ली है। 2024 में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने गठबंधन तो किया, मगर नतीजा 2019 जैसा ही रहा। दिल्ली में बीजेपी के क्लीन स्वीप से भले ही कांग्रेस को झटका नहीं लगा हो, मगर नतीजे आम आदमी पार्टी के लिए खतरे की घंटी हैं। आप ने दिल्ली की सात में से चार सीटों पर चुनाव लड़ा था। पार्टी का वोट शेयर करीब 6 फीसदी बढ़ा मगर वह एक भी सीट नहीं जीत सकी।
चुनाव प्रचार में आप ने दिल्ली सरकार के प्रदर्शन और नेताओं की गिरफ्तारी पर फोकस किया। पार्टी को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री और आप नेता अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से सहानुभूति वोट मिलेंगे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत भी दी गई थी। इसके बावजूद AAP 2019 के चुनाव के नतीजों को पलटने में सफल नहीं हुई। दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे। केजरीवाल फिर गए जेल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया भी हैं जेल में ऐसे में 'आप' को अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है।
दिल्ली में बीजेपी से मुकाबले के लिए कांग्रेस और आप ने गठबंधन बनाया था। सात सीटों में से आप ने चार और कांग्रेस ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा। 2019 में AAP को 18।2% वोट मिले थे, इस बार 24।14% वोट मिले। दिल्ली में केजरीवाल की गिरफ़्तारी और उनकी सरकार का काम प्रचार का विषय बन गया। 'जेल का जवाब वोट से' का नारा सहानुभूति वोट पाने के लिए दिया गया था। हालांकि नतीजे बताते हैं कि पार्टी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाई।
बता दें कि AAP ने पंजाब में तीन सीटें जीतीं, जो 2019 की तुलना में तीन गुना अधिक है। 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि AAP को अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है। चूंकि पार्टी के प्रमुख नेता जेल में हैं, इसलिए पार्टी के मनोबल पर भी असर पड़ रहा है। ऐसे में पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अपनी खोई ताकत दोबारा हासिल करनी होगी।
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