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Up Kiran, Digital Desk: मध्य पूर्व में जारी तनाव ने एक नया मोड़ ले लिया है। अमेरिकी रक्षा सूत्रों ने पुष्टि की है कि इज़राइली लड़ाकू विमानों ने 9 सितंबर को क़तर की राजधानी दोहा में हमास नेताओं को निशाना बनाते हुए लाल सागर से बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। यह हमला तकनीकी रूप से अत्यधिक उन्नत और रणनीतिक दृष्टिकोण से चौंकाने वाला माना जा रहा है।
इस हमले में छह लोगों की मौत हो गई। दोहा में हुई यह घटना उस समय हुई जब क़तर, इज़राइल और हमास के बीच महीनों से चल रही युद्धविराम बातचीत की मध्यस्थता कर रहा था।
लाल सागर से 'क्षितिज के पार' मिसाइल हमला
अमेरिकी सैन्य सूत्रों ने बताया कि मिसाइलें ध्वनि की गति से कई गुना तेज थीं और ऊपरी वायुमंडल में पहुंचने के बाद सीधी दोहा में गिरीं। यह हमला इतनी ऊंचाई और रफ्तार से किया गया कि क़तर की अमेरिकी-निर्मित पैट्रियट मिसाइल प्रणाली भी इसे ट्रैक नहीं कर सकी।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रक्षेपण का तरीका जानबूझकर ऐसा चुना गया जिससे न केवल क़तर की रक्षा प्रणाली दरकिनार हो, बल्कि सऊदी अरब और अन्य देशों के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन भी न हो।
रणनीतिक उद्देश्य और तकनीकी जटिलता
लंदन स्थित रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के मिसाइल विशेषज्ञ सिद्धार्थ कौशल के अनुसार, "यह हमला रणनीति का बेहतरीन उदाहरण है। इस तरह के प्रक्षेपवक्र को पहचानना और रोकना बेहद कठिन है।" उनका मानना है कि यह "क्षितिज पार" हमला था—एक ऐसी तकनीक, जिसे अब तक केवल रूस और चीन जैसे देशों ने अपने सैन्य अभ्यासों में दिखाया था।
इज़राइल की चुप्पी, लेकिन संकेत साफ
हालांकि इज़राइल ने इस हमले को लेकर आधिकारिक बयान नहीं दिया है, अमेरिकी मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 10 इज़राइली फाइटर जेट्स ने इस मिशन में हिस्सा लिया और लगभग इतनी ही मिसाइलें दागी गईं। विशेषज्ञों का मानना है कि हमले में 'गोल्डन होराइज़न' या 'स्पैरो' प्रकार की एयर-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइलें इस्तेमाल की गई होंगी, जिनकी मारक क्षमता 2,000 किलोमीटर तक होती है।