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धर्म डेस्क। 22 जुलाई अर्थात आज से पवित्र सावन माह आरंभ हो गया है। सावन का समापन 19 अगस्त यानि सावन मास की पूर्णिमा तिथि को होगा। सनातन धर्म में सावन मास बहुत पवित्र एवं सुहाना माना जाता है। सावन मास भगवान् भोलेनाथ शिव को समर्पित है। इस मास में भगवान शिव की पूजा एवं व्रत आदि करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। सावन मास में भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए वास्तु नियमों का भी ध्यान रखना पड़ता है। कुछ खास वास्तु टिप्स का पालन कर आप शिव-शंभू की विशेष कृपा पा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि भगवान शिव-शंभू को बेलपत्र और बेल के पौधे बेहद प्रिय हैं। शिव पुराण के अनुसार जिस स्थान पर बेल का पेड़ है वह स्थान काशी के समान पवित्र होता है। बेल के वृक्ष पर जल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार बेल के वृक्ष को उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना बेहद शुभ फलदाई होता है।

सावन मास में पूजा स्थल पर भगवान शिव या भगवान शिव के की परिवार समेत चित्र लगाना चाहिए। भगवान शिव के परिवार के चित्र उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। चूंकि शिव पूर्णता के प्रतीक हैं, इसलिए अपने घर में शिव तांडव की मूर्तियां या भगवान शिव की क्रोधित चित्र कदापि  न रखें। 

शास्त्रों के अनुसार सावन मास घर में शिवलिंग की स्थापना के लिए सबसे अच्छा समय है। शिवलिंग की दिशा का भी ध्यान रखना जरूरी है। घर के ईशान कोण यानि उत्तर और पूर्व की दिशा के बीच में शिवलिंग रखें। उत्तर और पूर्व के मध्य की या दिशा सदैव शुभ रहती है। इस दिशा को बहुत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही सावन मास में 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप सभी कष्टों को दूर कर देता है।

इसी तरह स्वयं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मास की त्रयोदशी और शिवरात्रि के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद शमी का पौधा लगाएं। शमी का वृक्ष लगाने से पहले उसके नीचे पान के बीज और कुछ सिक्के गाड़ दें। शनिवार के दिन इस पौधे में एक छोटा सा शिव लिंग स्थापित करें और सावन मास में नित्य इस शिव लिंग पर जल या दूध चढ़ाएं। इस तरह जल्द ही आप सफलताओं के शिखर पर होंगे।  
 

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