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Up Kiran, Digital Desk: भारत में आंवला को यूं ही "रसायन" नहीं कहा गया। यह फल सिर्फ एक खाद्य पदार्थ नहीं, बल्कि एक प्राचीन स्वास्थ्यवर्धक औषधि है, जो आयुर्वेदिक विज्ञान में "त्रिदोष नाशक" के रूप में जानी जाती है। यानी यह वात, पित्त और कफ — तीनों दोषों को संतुलित करने की अद्भुत क्षमता रखता है।
त्रिदोष क्या होते हैं और आंवला कैसे मदद करता है?
आयुर्वेद के अनुसार, हर व्यक्ति के शरीर में तीन प्रकार की ऊर्जाएँ होती हैं – वात (गति और वायु), पित्त (गर्मी और पाचन), और कफ (संरचना और स्थिरता)। जब इनका संतुलन बिगड़ता है, तब शरीर में बीमारियाँ जन्म लेती हैं।
आंवले में मौजूद उच्च मात्रा में विटामिन C, एंटीऑक्सीडेंट्स, और पॉलीफेनोल्स शरीर को भीतर से पुनर्जीवित करते हैं। यह सूजन कम करता है, पाचन अग्नि को मज़बूत करता है, और शरीर में टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है।
वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित लाभ
प्रतिरक्षा को मज़बूत करता है
पाचन को सुधारता है
ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है
यकृत को डिटॉक्स करता है
त्वचा और बालों को पोषण देता है
कफ, पित्त, और वात – तीनों के लिए रामबाण
कफ: भारीपन, बलगम, जमाव – आंवला इसके कसैले गुणों से राहत देता है
पित्त: सूजन, चिड़चिड़ापन, गर्मी – आंवले का ठंडा प्रभाव शांत करता है
वात: चिंता, सूखापन – इसके मॉइस्चराइजिंग तत्व स्थिरता प्रदान करते हैं
कैसे करें आंवला का सेवन?
सुबह खाली पेट ताज़ा आंवला जूस
पाउडर रूप में चाय या पानी के साथ
कच्चा आंवला, मुरब्बा या चटनी
बालों के तेल, फेस पैक या त्वचा उपचार में उपयोग
किन्हें सावधानी रखनी चाहिए?
पाचन में कमजोरी हो तो कम मात्रा से शुरुआत करें
अल्सर या एसिडिटी की समस्या है तो सेवन सीमित करें
मधुमेह या यकृत रोगी – चिकित्सक की सलाह से ही लें