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Up Kiran, Digital Desk: एक नए शोध ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि कार्यस्थल पर अनुभव किया जाने वाला भावनात्मक तनाव और बार-बार होने वाले टकराव आपके टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को काफी बढ़ा सकते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग अपने काम के माहौल में लगातार तनाव और संघर्ष का सामना करते हैं, उनमें मधुमेह विकसित होने की संभावना उन लोगों की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक हो सकती है, जो तनाव-मुक्त वातावरण में काम करते हैं।

यह अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। कार्यस्थल पर भावनात्मक तनाव कई तरीकों से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है:

तनाव हार्मोन का स्राव: लंबे समय तक तनाव रहने पर शरीर कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन छोड़ता है। ये हार्मोन रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकते हैं और इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) को बढ़ावा दे सकते हैं, जो मधुमेह का एक प्रमुख कारण है।

खराब जीवनशैली के विकल्प: तनाव अक्सर लोगों को अस्वास्थ्यकर आदतों की ओर धकेलता है, जैसे कि अत्यधिक भोजन करना, अस्वास्थ्यकर भोजन चुनना, व्यायाम की कमी, नींद की कमी और शराब या धूम्रपान का सेवन। ये सभी कारक मधुमेह के जोखिम को बढ़ाते हैं।

पुरानी सूजन: पुराना तनाव शरीर में पुरानी सूजन को जन्म दे सकता है, जो इंसुलिन प्रतिरोध और अन्य चयापचय संबंधी समस्याओं से जुड़ा है।

यह अध्ययन नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है। नियोक्ताओं को एक सहायक और तनाव-मुक्त कार्य वातावरण बनाने पर ध्यान देना चाहिए, जबकि कर्मचारियों को तनाव प्रबंधन तकनीकों, जैसे माइंडफुलनेस, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद, को अपनाना चाहिए।

इस शोध से यह स्पष्ट है कि काम के स्थान पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना केवल कर्मचारियों की खुशी के लिए ही नहीं, बल्कि उनके दीर्घकालिक शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियों के प्रसार को कम करने में भी मदद कर सकता है।

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