
ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर रेसिलिएंट इमर्जिंग मार्केट्स (GIREM) की रिपोर्ट बताती है कि 2024 में भारत में 19.18 लाख साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज की गईं, जो 2023 के 15.56 लाख से कहीं अधिक है । इन ठगी के मामलों में 22,812 करोड़ रुपये की आर्थिक हानि हुई—यह 2023 की 7,496 करोड़ की तुलना में लगभग तीन गुना है और 2022 की 2,306 करोड़ की तुलना में दस गुना अधिक । पिछले चार वर्षों में कुल मिलाकर 33,165 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ ।
क्यों बढ़ रहे साइबर अपराध?
भारत में लगभग 90 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, लेकिन डिजिटल सुरक्षा की शिक्षा और जागरूकता बहुत कम है। ग्रामीण और छोटे शहरों में ऐप-बैंकिंग, सोशल-मीڈیا और यूपीआई जैसी सुविधाएँ बिना प्रशिक्षण के अपनाई गईं, जिससे साइबर ठगों को आसानी से मौका मिला ।
ठगों की चालें कैसे काम करती हैं?
फिशिंग और vishing: ई‑मेल, SMS या फोन कॉल के माध्यम से बैंक, सरकार या कोड जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं का रूप धारण करके OTP और बैंक विवरण चुराए जाते हैं।
APK फार्म में मैलवेयर: नकली ‘सरकारी’ ऐप के जरिए मोबाइल में माहिती चुराना आम हो गया है।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम: वीडियो कॉल करके, “आप गिरफ्तार होने वाले हैं” का डर दिखाकर, पैसों की मांग की जाती है।
रैडिट पर उपयोगकर्ताओं ने बताया:
“In 2024, India experienced … losses nearing Rs 1,935.5 crore across 123,672 cases”
“WhatsApp & Telegram Scams – Over 43,000 complaints … UPI Fraud … ₹485 crore in six months”
सरकार और एजेंसियों की क्या भूमिका है?
केंद्र सरकार ने NCRP (रिपोर्टिंग पोर्टल) शुरू किया है और गणतंत्र दिवस के बाद e‑FIR की सुविधा भी लागू की जा रही है । कुछ राज्यों में डिजिटल फोरेंसिक और डेटा‑गेयर्ड मोबाइल ऐप का उपयोग करके अपराध रोकने के प्रयास जारी हैं।
आप क्या कर सकते हैं?
डिजिटल सुरक्षा का ज्ञान हमेशा अपडेट रखें।
किसी भी कॉल/मैसेज में OTP, बैंक डिटेल्स साझा न करें।
संदिग्ध गतिविधि तुरंत रिपोर्ट करें।
ऐप केवल विश्वसनीय स्रोत से ही डाउनलोड करें।
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