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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक, जो अपने घने जंगलों और समृद्ध वन्यजीवों के लिए जाना जाता है, आज अपने बाघों की घटती आबादी के कारण गहरी चिंता में है। राज्य में पांच प्रमुख बाघ अभयारण्य - बांदीपुर, भद्रा, नागरहोल, दांडेली-अंशी और बीआरटी (बिलिगिरि रंगनाथ मंदिर) - बाघों के लिए जीवनदायिनी हैं। हालांकि, पिछले पांच वर्षों (2020-2025) में 75 बाघों की मौत की रिपोर्ट ने वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षणवादियों के बीच alarm बजा दिया है। यह आंकड़ा राज्य में बाघों के संरक्षण के लिए एक गंभीर चेतावनी है।

किन अभयारण्यों में हुईं सबसे ज्यादा मौतें?

इन दुर्भाग्यपूर्ण मौतों में, नागरहोल बाघ अभयारण्य सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां 26 बाघों की जान गई। इसके बाद बांदीपुर बाघ अभयारण्य का नंबर आता है, जहाँ 22 बाघों की मौत दर्ज की गई। ये दोनों अभयारण्य मिलकर कुल बाघ मौतों का लगभग दो-तिहाई हिस्सा हैं। बीआरटी अभयारण्य में 8 मौतें हुईं, जबकि मला महादेश्वरा हिल्स (एमएम हिल्स) क्षेत्र में 5 बाघों ने दम तोड़ा। ये आँकड़े बताते हैं कि कर्नाटक के प्रमुख बाघ निवास स्थान गंभीर खतरे में हैं।

मौतों का कारण: प्राकृतिक या अप्राकृतिक?

कर्नाटक के वन मंत्री, ईश्वर खंडे, ने बताया कि कुल 75 मौतों में से 62 मौतें प्राकृतिक कारणों से हुईं। इनमें बुढ़ापा, क्षेत्र के लिए आपसी लड़ाई और बीमारियाँ शामिल हैं। हालांकि, 13 मौतें अप्राकृतिक थीं, जो चिंता का एक बड़ा कारण है। एमएम हिल्स में हुई एक चौंकाने वाली घटना में, पांच बाघों ने ज़हरीला मांस खाने के बाद दम तोड़ दिया। जांच में पता चला कि स्थानीय ग्रामीणों ने मवेशियों के शिकार के प्रतिशोध में मवेशियों के शवों में ज़हर मिला दिया था। इस मामले में शामिल लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

साजिश, जाल और बिजली का कहर: अप्राकृतिक मौतों की क्रूर सच्चाई

अप्राकृतिक मौतों के अन्य मामलों में, जंगली सूअरों और हिरणों के लिए बिछाए गए फंदों (snare traps) में फंसने से नागरहोल में एक मादा बाघ और बांदीपुर में एक नर बाघ की मौत हो गई। इसके अलावा, एक बाघ की बिजली का झटका लगने से, दो को गोली मारकर, और मैसूरु जिले में सिर्फ 1-2 साल का एक युवा नर बाघ अवैध शिकार (poaching) का शिकार हो गया। ये घटनाएं मानव-वन्यजीव संघर्ष की भयावहता और अवैध गतिविधियों के बढ़ते खतरों को उजागर करती हैं।

चिंताजनक प्रवृत्ति और भविष्य की राह

कर्नाटक, जो कभी भारत में बाघों के लिए एक सुरक्षित आश्रय माना जाता था, अब इन चुनौतियों का सामना कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अवैध शिकार के खिलाफ सख्त उपायों, बेहतर निगरानी प्रणालियों और स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी से ही बाघों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है। वन विभाग ने 'हेज्जे' (Kannada में 'पदचिह्न') नामक एक रियल-टाइम ट्रैकिंग सिस्टम विकसित किया है और AI-संचालित कैमरा ट्रैप और ड्रोन का उपयोग करके निगरानी बढ़ा रहा है। साथ ही, घास के मैदानों को पुनर्जीवित करने और आक्रामक खरपतवारों को हटाने के प्रयास भी जारी हैं ताकि बाघों के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके।

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