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Up Kiran, Digital Desk: हांगकांग में एक 32 मंज़िला इमारत में लगी आग ने शहर को हिला कर रख दिया है। गुरुवार तक आग में 94 लोगों की मौत हो चुकी है, जो हाल के वर्षों में सबसे भीषण अग्निकांड साबित हुआ है। यह आग 1996 की कॉव्लून आग से भी कहीं ज्यादा विनाशकारी रही, जिसमें 41 लोग मारे गए थे। जबकि दमकलकर्मी और बचावकर्मी लगातार राहत कार्यों में जुटे हैं, आग की लपटें और धुआं अभी भी कुछ हिस्सों में महसूस हो रहा है।

32 मंज़िला टावर में आग कैसे लगी?

आग की शुरुआत 32 मंज़िला एक टावर के बाहरी मचान से हुई, जो धीरे-धीरे इमारत के अंदर तक फैल गई। तेज़ हवाओं ने इसे काफी विस्तार दे दिया और आग ने पास की छह अन्य इमारतों को भी अपनी चपेट में ले लिया। इस परिसर में कुल आठ इमारतें हैं, जिनमें लगभग 2,000 अपार्टमेंट और करीब 4,800 निवासी रहते हैं, जिनमें कई बुज़ुर्ग भी शामिल हैं। घटना के समय परिसर में नवीनीकरण कार्य चल रहा था, और बांस के मचान को सुरक्षा की दृष्टि से एक बड़ा सवाल बनाया गया है।

बांस के मचान से जुड़ी सुरक्षा चिंताएं

आग ने हांगकांग में बांस के मचान के उपयोग पर सवाल खड़ा कर दिया है। ये मचान सस्ते, हल्के और तंग जगहों में लगाने के लिए आदर्श होते हैं, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, ये आग के संपर्क में आते ही जल्दी जलने लगते हैं और धातु के मचान की तुलना में कहीं ज्यादा खतरनाक साबित होते हैं। बांस के अलावा, प्लास्टिक जाल और स्टायरोफोम कवर जैसे द्रव्य भी आग को फैलाने में योगदान कर सकते हैं।

सरकारी अधिकारियों ने अब बांस के स्थान पर धातु के मचान लगाने की योजना बनाई है, जो न केवल मज़बूत होते हैं, बल्कि आग से सुरक्षित भी होते हैं। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, हांगकांग प्रशासन ने नवीनीकरण कार्यों के तहत सभी आवासीय परिसरों की जांच शुरू कर दी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सामग्री सुरक्षा मानकों का पालन कर रही है।