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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस कायराना हमले में जहां कई निर्दोष पर्यटक गोलियों का शिकार बने। वहीं भारतीय खुफिया विभाग (IB) के डीएसपी रैंक के अधिकारी मनीष रंजन भी आतंकियों की गोलियों का निशाना बन गए। बिहार के रोहतास जिले के अरुही गांव के रहने वाले मनीष रंजन की शहादत की खबर जैसे ही उनके पैतृक गांव और सासाराम शहर में पहुंची, पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।
तीर्थ यात्रा से पहले, गोलियों की शहादत
मनीष रंजन हाल ही में हैदराबाद से वैष्णो देवी के दर्शन के लिए निकले थे। उनका यह परिवार संग धार्मिक दौरा बन गया आख़िरी सफर। उनके चाचा आलोक मिश्र ने बताया कि मनीष के पिता डॉ. मंगलेश मिश्र, जो पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के झालदा में कार्यरत हैं, भी 22 अप्रैल को वैष्णो देवी जाने वाले थे। लेकिन रास्ते में ही उन्हें बेटे की शहादत की खबर मिली और वह ट्रेन से उतरकर सीधे रांची लौट गए।
परिवार में पसरा मातम, बेसुध हैं स्वजन
मनीष रंजन अपने तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके मंझले भाई राहुल रंजन एफसीआई में कार्यरत हैं जबकि छोटे भाई विनीत रंजन पश्चिम बंगाल में मद्य निषेध विभाग में तैनात हैं। इस वक्त पूरा परिवार रांची में मनीष के पार्थिव शरीर के आने का इंतजार कर रहा है। उनकी मां और पिता सदमे में हैं, गांव में रोने की आवाजें हर ओर गूंज रही हैं।
सेवा भाव से भरा जीवन, देश को समर्पित सफर
मनीष रंजन की पहली पोस्टिंग दिल्ली, फिर रांची और वर्तमान में वह हैदराबाद में सेवा दे रहे थे। अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित मनीष की निजी ज़िंदगी भी अनुशासन और सादगी से भरी थी। अपने काम के प्रति ईमानदार मनीष को लोग शांत, संयमी और देशभक्त अधिकारी के तौर पर याद कर रहे हैं।