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Hamirpur unique Holi tradition: रंगों और उमंग का पर्व होली अपने आप में कई अजीब परंपराओं का संगम है, मगर यूपी के हमीरपुर जिले में मनाई जाने वाली होली की परंपरा आपको हैरान कर देगी। यहां होली के दिन महिलाएं दूल्हे की बारात निकालती हैं, जिसमें पुरुषों की कोई भागीदारी नहीं होती। इस चौंकाने वाली रस्म का इतिहास करीब 300 बरस पुराना बताया जाता है।

क्या है इस परंपरा की कहानी?

हमीरपुर के इस क्षेत्र में होली का जश्न बहुत खास होता है। राम-जानकी मंदिर से शुरू होने वाली यह बारात पूरे गांव में घुमाई जाती है। खास बात ये है कि बारात में सिर्फ महिलाएं ही शामिल होती हैं।

इस बारात में  एक युवक को दूल्हे के रूप में सजाकर घोड़े पर बैठाया जाता है। महिलाएं घर-घर जाकर दूल्हे का टीका करती हैं, आरती उतारती हैं और मिठाइयां खिलाकर विदाई देती हैं। बारात के साथ बैंड-बाजे और पारंपरिक गीतों की धुन गूंजती है।

बारात के बाद रंगों की होली

इस अनूठी परंपरा के बाद हमीरपुर में धूमधाम से रंगों की होली खेली जाती है। इस दौरान धार्मिक नाटकों का भी मंचन किया जाता है, जिनमें विशेष रूप से हिरण्यकश्यप वध की लीला प्रस्तुत की जाती है।

देशभर में प्रसिद्ध हो रही ये परंपरा

हमीरपुर की ये अनूठी होली अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो चुकी है। हर साल देशभर से सैकड़ों लोग इस अनोखी परंपरा का हिस्सा बनने आते हैं। यहां की महिला सशक्तिकरण से जुड़ी ये रस्म लोगों को बहुत प्रभावित करती है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक भी आते हैं।

300 साल पुरानी है ये परंपरा

स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, इस परंपरा की शुरुआत लमसम 300 साल पहले हुई थी। ये परंपरा न सिर्फ रंगों का उत्सव है बल्कि इसमें समाज में महिलाओं की अहम भूमिका को भी दर्शाया जाता है।