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Up Kiran, Digital Desk: भारत की रक्षा निर्माण क्षमता को एक बड़ा बढ़ावा देते हुए, देश की एकमात्र टैंक बनाने वाली सरकारी कंपनी 'अवनी' (आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड) ने अब वैश्विक बाजारों में उतरने की घोषणा की है. कंपनी विदेशी साझेदारों के साथ मिलकर काम करने के मौके तलाश रही है ताकि वह अपने उत्पादों को दुनिया भर में बेच सके और नई तकनीकों का विकास कर सके.
अवनी, जो भारतीय सेना के लिए अर्जुन और T-90 'भीष्म' जैसे मुख्य युद्धक टैंक बनाती है, अब तक मुख्य रूप से भारतीय सेना की जरूरतों को ही पूरा करती आई है. लेकिन अब, कंपनी 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव ला रही है.
विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर काम करने का प्लान
अवनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (CMD) संजीव किशोर ने कहा कि कंपनी तीन प्रमुख क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी करना चाहती है:
ज्वाइंट वेंचर (JV): मिलकर नए उत्पाद बनाना.
सह-विकास (Co-development): नई तकनीकों पर एक साथ काम करना.
मौजूदा टैंकों का अपग्रेडेशन: विदेशी तकनीक की मदद से अपने मौजूदा टैंकों को और भी घातक और आधुनिक बनाना.
कंपनी खास तौर पर बेहतर कवच (armor), फायर कंट्रोल सिस्टम, इंजन और गियरबॉक्स जैसी में रुचि रखती है.
किन देशों पर है नज़र: अवनी का लक्ष्य दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य-पूर्व और अफ्रीका के देशों को अपने टैंक और अन्य बख्तरबंद वाहन बेचना है. इन क्षेत्रों में भारतीय रक्षा उत्पादों के लिए एक बड़ा बाजार मौजूद है.
क्यों महत्वपूर्ण है यह कदम: यह कदम भारत को दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातकों में से एक की छवि से निकालकर एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है. विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी से न केवल अवनी को वैश्विक बाजार मिलेगा, बल्कि इससे भारत में अत्याधुनिक रक्षा तकनीक भी आएगी. इसका सीधा फायदा भारतीय सेना को भी मिलेगा, क्योंकि उन्हें भविष्य में और भी बेहतर और शक्तिशाली टैंक मिलेंगे.