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उज्जैन। मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला उज्जैन के एक आश्रम से सामने आया है, जहां बीते पांच वर्षों से एक दिव्यांग युवती अपने माता-पिता के लौटने का इंतजार कर रही है। यह युवती इंदौर के एक प्रतिष्ठित कारोबारी परिवार से संबंध रखती है, जिसे माता-पिता ने उज्जैन स्थित एक आश्रम में छोड़ दिया था, लेकिन तब से अब तक न तो कोई हालचाल पूछा और न ही मिलने आए।
आश्रम प्रबंधन के अनुसार, यह युवती शारीरिक रूप से असमर्थ है और विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है। जब उसे आश्रम लाया गया था, तब माता-पिता ने कहा था कि वे कुछ दिनों बाद लौटेंगे। लेकिन अब पूरे पांच साल बीत चुके हैं, और लड़की आज भी उसी आशा में जी रही है कि उसके मां-बाप उसे वापस ले जाएंगे।
आश्रम के कर्मचारियों का कहना है कि युवती मानसिक रूप से काफी टूट चुकी है, लेकिन फिर भी जब भी दरवाजे पर कोई आता है, तो वह उम्मीद से आंखें उठाकर देखती है। कई बार उसने यह भी पूछा कि “मम्मी-पापा कब आएंगे?”, जो हर किसी का दिल पिघला देता है।
सूत्रों के मुताबिक, जब आश्रम प्रबंधन ने युवती के माता-पिता से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। यह भी जानकारी मिली है कि दंपत्ति इंदौर में आरामदायक जीवन बिता रहे हैं और बेटी के बारे में बात करना ही नहीं चाहते।
समाजसेवियों ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि मानसिक और शारीरिक रूप से असहाय लोगों को यूं अकेला छोड़ देना न केवल नैतिक अपराध है, बल्कि मानवीय मूल्यों के भी खिलाफ है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आज के समाज में मानवीय रिश्तों का महत्व केवल सुविधाओं और शर्तों तक सीमित रह गया है?
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