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भारतवंशियों का डंका आज पूरी दुनिया में बज रहा है और इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है - पॉल कपूर. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें दक्षिण और मध्य एशिया के लिए विदेश विभाग का प्रमुख नियुक्त किया है. यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि अब भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान जैसे देशों को लेकर अमेरिका की नीति क्या होगी, यह पॉल कपूर ही तय करेंगे. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि पाकिस्तान को लेकर उनकी सोच क्या है.

कौन हैं पॉल कपूर:52 वर्षीय पॉल कपूर का भारत से गहरा नाता है. उनका जन्म दिल्ली में हुआ था. उनके पिता भारतीय थे और मां अमेरिकी. हालांकि उनकी परवरिश अमेरिका में ही हुई, लेकिन वह अक्सर भारत आते-जाते रहते थे. पॉल कपूर अमेरिका के एक जाने-माने सुरक्षा विशेषज्ञ हैं और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और अमेरिकी नेवल पोस्टग्रेजुएट स्कूल में प्रोफेसर रह चुके हैं.

पाकिस्तान को लेकर क्या है कपूर की सोच?

पॉल कपूर पाकिस्तान को बहुत करीब से समझते हैं. उन्होंने पाकिस्तान की राजनीति और सुरक्षा नीतियों पर कई किताबें भी लिखी हैं. अपनी एक किताब 'जिहाद एज ग्रैंड स्ट्रैटजी' में उन्होंने एक बहुत बड़ी बात कही थी. उन्होंने लिखा था कि पाकिस्तान में जिहाद या आतंकवाद, वहां की अस्थिरता का नतीजा नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तानी सरकार की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है.

इस बयान से साफ है कि वह पाकिस्तान को लेकर किसी भ्रम में नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सुरक्षा सहयोग तभी करेंगे जब वह अमेरिका के हितों में होगा. इसका मतलब यह है कि अब पाकिस्तान को अमेरिका से मदद लेने के लिए अपनी आतंकी नीतियों को छोड़ना पड़ सकता है.

भारत के लिए क्या हैं मायने: पॉल कपूर की नियुक्ति भारत के लिए एक अच्छी खबर मानी जा रही है. वह भारत और अमेरिका के मजबूत रिश्तों के बड़े पक्षधर हैं. उन्होंने कहा है कि एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को सुनिश्चित करना, जो चीन के प्रभुत्व में न हो, भारत और अमेरिका दोनों का साझा हित है. वह दोनों देशों के बीच व्यापार, तकनीक और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर देते हैं.

कुल मिलाकर, एक ऐसे व्यक्ति का इतने महत्वपूर्ण पद पर बैठना, जो पाकिस्तान की नस-नस से वाकिफ है और भारत को एक अहम साथी मानता है, दक्षिण एशिया की राजनीति में एक नए समीकरण का संकेत दे रहा है.