naga sadhu life: प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियाँ तेजी से चल रही हैं, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस पवित्र समय पर संगम में स्नान करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कौन होते हैं अघोरी साधु
अघोरी साधु भगवान शिव के भक्त होते हैं। अघोर भगवान शिव के पांच रूपों में से एक है, और ये साधु अपनी ज़िंदगी को शिव की भक्ति और तंत्र साधना के लिए समर्पित करते हैं। ये साधु पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों से अलग होते हैं और समाज की स्थापित मान्यताओं को चुनौती देते हैं।
अघोरी साधु अपनी तंत्र साधना के लिए श्मशान घाट का चयन करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि वहां साधना करने से मृत्यु के भय पर विजय प्राप्त की जा सकती है। वे शवों पर बैठकर साधना करते हैं और इसे शिव और शक्ति की उपासना का एक माध्यम मानते हैं। कुछ अघोरी साधु शवों के साथ शारीरिक संबंध भी बनाते हैं, जिसे वे साधना का एक अनिवार्य हिस्सा मानते हैं। उनका मानना है कि यदि इस प्रक्रिया के दौरान मन शिव की भक्ति में लीन रहे, तो इससे साधना की शक्ति में वृद्धि होती है।
अन्य हैरतअंगेज आदतें जानें
अघोरी साधुओं का मानना है कि शवों के साथ शारीरिक संबंध बनाना और अन्य असामान्य विधियों से उनकी तंत्र साधना की शक्ति में इजाफा होता है। इस प्रक्रिया से उन्हें आत्मा, शक्ति और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के गहरे स्तरों को समझने में मदद मिलती है। हालांकि, यह साधना और व्यवहार सामान्य समाज के लिए अजीब और विवादास्पद हो सकते हैं।
अघोरी साधु शव साधना के अलावा समाज द्वारा वर्जित गतिविधियों में भी शामिल रहते हैं। जैसे शराब पीना, मांस खाना और मानव खोपड़ी का उपयोग करना। ये सब उनकी साधना का हिस्सा होते हैं और तंत्र विद्या में महारत हासिल करने के लिए आवश्यक माने जाते हैं।
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