Up kiran,Digital Desk : उत्तरी जापान में सोमवार देर रात एक बार फिर धरती बुरी तरह कांप उठी. रिक्टर स्केल पर 7.5 की तीव्रता वाले इस शक्तिशाली भूकंप ने लोगों को दहला कर रख दिया, जिसके फौरन बाद तटीय इलाकों में दो फुट से ऊंची सुनामी की लहरें भी उठीं. इस आपदा में अब तक 33 लोगों के घायल होने की खबर है, जबकि सरकार और एजेंसियां नुकसान का पता लगाने में जुटी हुई हैं.
यह भूकंप रात करीब 11:15 बजे प्रशांत महासागर में, मुख्य द्वीप होंशू के आओमोरी तट से लगभग 80 किलोमीटर दूर आया. झटके इतने तेज थे कि लोगों में अफरातफरी मच गई. हचिनोहे शहर में एक छोटी सी दुकान चलाने वाले नोबुओ यामाडा ने बताया, "मैंने अपनी जिंदगी में इतनी तेज कंपन कभी महसूस नहीं की."
उठी सुनामी की लहरें
भूकंप के बाद सबसे बड़ा खतरा सुनामी का था. जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने पहले कुछ इलाकों में 10 फुट तक ऊंची लहरें उठने की चेतावनी जारी की थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर 'एडवाइजरी' कर दिया गया. फिर भी, इवाते प्रांत के कुजी बंदरगाह पर करीब 2.5 फीट ऊंची लहरें दर्ज की गईं, जबकि दूसरे तटीय इलाकों में भी 50 सेंटीमीटर तक की लहरें देखी गईं.
गिरते सामान से घायल हुए लोग
आपदा प्रबंधन एजेंसी के मुताबिक, ज्यादातर लोग भूकंप के दौरान घरों में गिरते सामान की चपेट में आने से घायल हुए. हचिनोहे के एक होटल में भी कई लोगों को चोटें आईं. एक व्यक्ति की कार सड़क में बने गड्ढे में गिर गई, जिससे उसे हल्की चोटें आईं.
लोगों की जिंदगी पर असर
- बिजली गुल: भूकंप के कारण करीब 800 घरों की बिजली चली गई.
- बुलेट ट्रेनें रद्द: जापान की मशहूर शिंकानसेन बुलेट ट्रेनों समेत कई स्थानीय रेल लाइनों को रद्द करना पड़ा.
- एयरपोर्ट पर फंसे लोग: लगभग 200 यात्री पूरी रात न्यू चितोसे हवाई अड्डे पर फंसे रहे.
परमाणु संयंत्रों पर क्या हुआ असर?
जापान में भूकंप के बाद सबसे बड़ी चिंता परमाणु संयंत्रों को लेकर होती है. सरकार ने तुरंत सभी न्यूक्लियर प्लांट्स की सुरक्षा जांच के आदेश दिए. अधिकारियों ने बताया कि आओमोरी के एक फ्यूल री-प्रोसेसिंग प्लांट में इस्तेमाल किए गए ईंधन को ठंडा करने वाले एरिया से करीब 450 लीटर पानी का रिसाव हुआ, लेकिन यह सामान्य सीमा के अंदर था और इससे सुरक्षा का कोई खतरा नहीं है.
सरकार ने उठाए ये कदम
प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने तुरंत एक आपातकालीन टीम बनाकर राहत और बचाव कार्य तेज करने का आदेश दिया. उन्होंने कहा, "हमारी पहली प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है." नुकसान का जायजा लेने के लिए सेना के 18 हेलिकॉप्टर तैनात किए गए और करीब 480 लोगों के लिए एक एयर बेस ली.
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