
Madhya Pradesh health carelessness: संजय गांधी मेडिकल कॉलेज मध्य प्रदेश रीवा में स्वास्थ्य सेवाओं का बड़ा केंद्र माना जाता है। इन दिनों एक भयानक लापरवाही की वजह से चर्चा में है। 25 फरवरी को यहां डिलीवरी के लिए भर्ती पाँच गर्भवती महिलाओं को एक इंजेक्शन दिया गया, जो गुजरात की फार्मा कंपनी रेडिएंट पैरेंटेरल्स लिमिटेड का था। ये वही दवा थी, जिसे विदिशा मेडिकल कॉलेज की शिकायत के बाद दिसंबर 2024 में ब्लैकलिस्ट किया गया था।
फिर भी इसके बावजूद यह स्टोर से निकलकर मरीजों तक पहुँच गई। नतीजा ये रहा कि महिलाओं की याद्दाश्त पर असर पड़ा और उनके परिवारों में कोहराम मच गया।
खोजबीन में पता चला कि स्टोरकीपर प्रवीण उपाध्याय ने बिना जाँच-पड़ताल के 100 वायल जारी कर दिए। इनमें से कुछ डिलीवरी वार्ड में इस्तेमाल हो गए। 4 मार्च को जाँच टीम ने स्टोर से 70 वायल जब्त किए, मगर बाकी 30 इंजेक्शनों का कोई अता-पता नहीं।
एक पीड़ित महिला के पति ने बताया कि मेरी पत्नी को कुछ याद नहीं रहा। हमें समझ नहीं आ रहा कि आगे क्या करें।” इस घटना ने न सिर्फ अस्पताल की कार्यप्रणाली, बल्कि दवाओं के रखरखाव और वितरण पर सवाल उठा दिए हैं।
जाँच में और भी चौंकाने वाली बातें सामने आईं। स्टोर में तापमान की निगरानी नहीं थी, खराब दवाएँ सामान्य दवाओं के साथ रखी जा रही थीं और रिकॉर्ड मेंटेन करने में भी लापरवाही बरती गई। स्टोरकीपर को निलंबित कर दिया गया, मगर क्या सिर्फ एक शख्स इसके लिए जिम्मेदार है? गुजरात की कंपनी पर 3.01 लाख का जुर्माना और पाँच साल का बैन लगा है, मगर मरीजों को हुए नुकसान का जिम्मेदार कौन?
--Advertisement--