Up kiran,Digital Desk : उत्तराखंड की फिजाओं में अब टेक्नोलॉजी का रंग घुलने वाला है। जी हां, राज्य सरकार अपनी एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) नीति के जरिए पूरे सिस्टम को हाईटेक और स्मार्ट बनाने जा रही है। अगर आप पहाड़ के किसी दूरदराज गांव में भी रहते हैं, तो अब आपको अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए धक्के नहीं खाने पड़ेंगे, और न ही सरकारी दफ्तरों में आपकी फाइल अटकेगी।चलिए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि एआई आपके जीवन में क्या बदलाव लाने वाला है।
अब अपनी बोली में होगा सरकारी काम
सबसे अच्छी खबर यह है कि टेक्नोलॉजी अब हमारी-आपकी भाषा बोलेगी। सरकार 'अपुणी सरकार' पोर्टल और सीएम हेल्पलाइन को एआई से जोड़ने जा रही है। इसका फायदा यह होगा कि आप गढ़वाली, कुमाऊंनी या जौनसारी में अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे और 'आवाज' के जरिए ही उसका हल पा सकेंगे। आपकी शिकायत कहां पहुंची है, यह ट्रैक करना भी बाएं हाथ का खेल होगा।
घूसखोरी और धांधली पर लगेगी लगाम
- फर्जी बिल: एआई सरकारी खर्च और बिलों पर बाज जैसी नज़र रखेगा। अगर किसी ने फर्जी बिल पास कराने की कोशिश की, तो कंप्यूटर उसे तुरंत पकड़ लेगा।
- ई-टेंडर: टेंडर प्रक्रिया में जो 'खेल' होते थे, अब वो बंद होंगे। एआई देखेगा कि ठेका सही तरीके से दिया जा रहा है या नहीं।
- जमीन घोटाले: पुराने लैंड रिकॉर्ड को डिजिटल किया जा रहा है। अगर किसी ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया या भू-उपयोग (Land use) के नियमों को तोड़ा, तो सैटेलाइट और एआई उसे पकड़ लेंगे।
घर तक पहुंचेगा डॉक्टर और इलाज
- जांच: एआई आपके एक्स-रे, ईसीजी और ब्लड रिपोर्ट को देखकर डॉक्टर से पहले ही बता देगा कि कहीं डायबिटीज, दिल की बीमारी या एनीमिया का खतरा तो नहीं है।
- घर पर मदद: गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों की पहचान करके स्वास्थ्य टीमें खुद उनके घर तक पहुंचेंगी।
- भीड़ का पता: अस्पताल जाने से पहले ही पता चल जाएगा कि वहां बेड, ऑक्सीजन या दवाएं उपलब्ध हैं या नहीं।
- टेली-मेडिसिन: दूर-दराज के गांवों के लोग एआई चैटबॉट (Chatbot) से बात करके पहली डॉक्टरी सलाह ले सकेंगे।
भीड़ पर 'स्मार्ट' नज़र
कुंभ मेला हो या चारधाम यात्रा, भीड़ को संभालना पुलिस के लिए सिरदर्द होता है। अब एआई वाले स्मार्ट कैमरे भीड़भाड़ में भी संदिग्ध लोगों और गतिविधियों को पहचान लेंगे, जिससे सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रहेगी। सोशल मीडिया पर फ़ैलने वाली अफवाहों और फेक न्यूज को भी यह सिस्टम तुरंत पकड़ लेगा।
तो तैयार हो जाइए एक नए और पारदर्शी उत्तराखंड के लिए, जहां काम रुकेंगे नहीं, बल्कि दौड़ेंगे।
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