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Up Kiran, Digital Desk: बुधवार, 6 अगस्त, 2025 को वैश्विक बाजारों (global markets) में छाई अनिश्चितता और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (US President Donald Trump) द्वारा लगाए गए नए टैरिफ (tariffs) की धमकियों के बीच, भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) की निगाहें भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee - MPC) की बैठक पर टिकी थीं. बाजार में हलचल थी, लेकिन आरबीआई ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया.

गिफ्ट निफ्टी (GIFT Nifty) का संकेत: क्या भारतीय बाजार में होगी 'तेज' शुरुआत या फिर 'उतार-चढ़ाव' का खेल?

आरंभिक संकेतों के अनुसार, भारतीय बेंचमार्क इंडेक्स (benchmark indices) निफ्टी और सेंसेक्स (Nifty and Sensex) की शुरुआत धीमी रहने की उम्मीद थी. GIFT Nifty (जिसे पहले SGX Nifty कहा जाता था), जो निफ्टी 50 इंडेक्स पर आधारित एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट है और भारतीय बाजार के खुलने से पहले वैश्विक रुझानों का संकेत देता है, बुधवार को 24,703.50 पर 4.30 अंक या 0.02 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था, जो भारतीय बाजार के लिए एक सपाट शुरुआत की ओर इशारा कर रहा था. विश्लेषकों का मानना था कि आरबीआई की नीतिगत घोषणा पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी.

वैश्विक बाजारों में 'डर' का माहौल: क्या टैरिफ की चिंता ने NASDAQ और Dow को भी हिला दिया?

वैश्विक बाजारों (global markets) में भी कमजोरी का रुख देखा गया. मंगलवार को अमेरिकी शेयर बाजार (US stock market) गिरावट के साथ बंद हुए, क्योंकि निवेशक टैरिफ के प्रभाव को लेकर चिंतित थे. डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज (Dow Jones Industrial Average) 0.14% गिरा, एसएंडपी 500 (S&P 500) में 0.49% की गिरावट आई, और टेक-हैवी नैस्डैक कंपोजिट (Nasdaq Composite) 0.65% नीचे बंद हुआ. एशियाई बाजार भी मिश्रित कारोबार कर रहे थे, जिससे भारतीय बाजारों के लिए कमजोर संकेत मिल रहे थे.

RBI का 'मास्टरस्ट्रोक': रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, पर क्या इसके पीछे छिपा है 'बड़ा राज'?

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governor Sanjay Malhotra) ने घोषणा की कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर (policy repo rate) को 5.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है. इससे पहले इस साल फरवरी में 25 आधार अंक, अप्रैल में 25 आधार अंक, और जून में 50 आधार अंक की दर कटौती की गई थी, जिसके बाद कुल 100 आधार अंक की कटौती हुई थी. एमपीसी ने 'तटस्थ' रुख (neutral stance) बनाए रखने का भी फैसला किया है.

गवर्नर ने कहा कि मध्यम अवधि में, बदलती विश्व व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी अंतर्निहित शक्तियों के कारण उज्ज्वल संभावनाएं रखती है. उन्होंने मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान (inflation forecast) को पहले के 3.7 प्रतिशत से घटाकर 3.1 प्रतिशत कर दिया है. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि अच्छा मानसून (good monsoon) और आगामी त्योहारी सीजन (festive season) आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देंगे. मल्होत्रा ने कहा कि सरकार और आरबीआई की सहायक नीतियों (supportive policies) के समर्थन से भारतीय अर्थव्यवस्था से मध्यम अवधि में मजबूत वृद्धि (robust growth) की उम्मीद है, भले ही वैश्विक व्यापार अनिश्चितता हो.

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index - CPI) आधारित मुख्य मुद्रास्फीति जून 2025 में लगातार आठवें महीने गिरकर 77 महीने के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत (साल-दर-साल) पर आ गई है. साथ ही, जून में खाद्य मुद्रास्फीति (food inflation) ने फरवरी 2019 के बाद पहली बार नकारात्मक आंकड़ा (-0.2 प्रतिशत) दर्ज किया है.

शेयर बाजार का 'हैरान' कर देने वाला प्रदर्शन: BEL, Power Grid और Infosys का क्या रहा हाल?

आरबीआई के इस फैसले के बाद भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखा गया. सेंसेक्स 80,543.99 पर 166.26 अंक या 0.21% की गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि निफ्टी 24,574.20 पर 75.35 अंक या 0.31% की गिरावट के साथ बंद हुआ.

व्यक्तिगत स्टॉक की बात करें तो, BEL (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड) आज के शीर्ष गेनर्स (top gainers) में से एक था, यह मजबूत प्रदर्शन दर्शाता है. विश्लेषकों ने BEL के लिए सकारात्मक मूल्य लक्ष्य (positive price targets) दिए हैं, जिसमें औसत 1-वर्ष का लक्ष्य 414.72 INR है, जो 577.5 INR तक जा सकता है. पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Power Grid Corporation of India) के शेयर में मामूली गिरावट देखी गई. पावर ग्रिड का शेयर मूल्य 284.15 रुपये पर था और यह वर्तमान में नकारात्मक प्रवृत्ति में है. हालांकि, विश्लेषकों ने पावर ग्रिड के लिए 359.40 के औसत मूल्य लक्ष्य के साथ 24.81% की वृद्धि का अनुमान लगाया है. वहीं, इंफोसिस (Infosys) उन प्रमुख पिछड़ी कंपनियों (major laggards) में से एक था, जिसमें गिरावट आई. इंफोसिस के लिए विश्लेषकों का आम सहमति 'होल्ड' (Hold) का है, जिसका औसत मूल्य लक्ष्य $18.67 (लगभग 1550 रुपये) है, जो अगले साल 13.77% की वृद्धि का अनुमान है.

आगे क्या? क्या रेपो रेट पर 'ठहराव' भारत की इकोनॉमी को देगा नई 'दिशा'?

आरबीआई का रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय, घटती मुद्रास्फीति और मजबूत आर्थिक दृष्टिकोण के बीच एक संतुलनकारी कार्य है. यह दर्शाता है कि केंद्रीय बैंक व्यापार तनावों और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सतर्क रहना चाहता है. इस फैसले से घर खरीदारों को तत्काल ईएमआई (EMI) में राहत नहीं मिलेगी, लेकिन यह रियल एस्टेट क्षेत्र (real estate sector) में स्थिरता बनाए रखने में मदद कर सकता है.

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