
माना जा रहा है कि सूडान के दारफुर क्षेत्र में शुक्रवार से जारी हमलों में 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। ये क्षेत्र कई वर्षों से अशांत है। बताया जा रहा है कि मृतकों में 20 बच्चे भी शामिल हैं। कहा जाता है कि यह हमला अर्धसैनिक समूह रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) द्वारा किया गया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आरएसएफ ने अल-फशर कस्बे तथा पास के ज़मज़म और अबू शौक़ के शरणार्थी शिविरों पर हमला किया।
यूएन की शाखा ओसीएचए ने शनिवार को कहा कि हमलों से इन शिविरों में स्थिति और खराब हो गई है, जो पहले से ही भुखमरी का सामना कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी समूहों में से एक, विस्थापित व्यक्तियों एवं शरणार्थियों के सामान्य समन्वय ने कहा कि हमले गुरुवार को शुरू हुए और शनिवार तक जारी रहे। इन हमलों में आवासीय क्षेत्रों, बाजारों और स्वास्थ्य केंद्रों को निशाना बनाया गया। इसमें सैकड़ों लोग मारे गए। कई लोग घायल भी हुए। मृतकों में बड़ी संख्या में महिलाएं और लड़कियां शामिल हैं। संगठन ने इन हमलों को युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध अपराध बताया है।
आरएसएफ ने इन आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने यह भी कहा कि ज़मज़म शिविर में आम नागरिकों को निशाना नहीं बनाया गया। आरएसएफ ने यह भी दावा किया है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो सेना द्वारा फैलाया जा रहा दुष्प्रचार है, जिसमें फर्जी फुटेज भी शामिल है और आरएसएफ को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। आरएसएफ ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई है। यह भी आरोप लगाया गया है कि सेना वास्तविक अपराधों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।