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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में भारत में सार्वजनिक परिवहन के विभिन्न माध्यमों में हुई चिंताजनक घटनाओं ने व्यापक सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है। हैदराबाद बस अग्निकांड, दिल्ली मेट्रो की घटना, बेंगलुरु बस का जलना और केरल में ट्रेन में आग लगने जैसी घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि यात्रियों की सुरक्षा कितनी नाजुक और महत्वपूर्ण है।

बसें, ट्रेनें, मेट्रो और यहाँ तक कि नौकाएँ (फेरी) सहित सार्वजनिक परिवहन, शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं की जीवनरेखा हैं। ये रोज़मर्रा के आवागमन, व्यापार और पर्यटन को सुगम बनाते हैं। लाखों लोग अपनी दैनिक ज़रूरतों और आजीविका के लिए इन पर निर्भर करते हैं।

इनकी व्यापक पहुँच और बड़े पैमाने पर उपयोग ही इन्हें अनगिनत खतरों के प्रति संवेदनशील बनाता है – आकस्मिक आग और यांत्रिक खराबी से लेकर आपराधिक गतिविधियों और यहाँ तक कि आतंकवादी हमलों तक। इन कमजोरियों को दूर करने के लिए केवल प्रतिक्रियात्मक उपायों से कहीं ज़्यादा, एक बहुआयामी और एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

यहाँ कुछ प्रमुख क्षेत्र दिए गए हैं जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है:

 तकनीकी एकीकरण: अत्याधुनिक तकनीक का लाभ उठाना सर्वोपरि है। इसमें वास्तविक समय में खतरे का पता लगाने के लिए AI-संचालित विश्लेषण के साथ उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले CCTV कैमरों की व्यापक तैनाती, वाहन के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए IoT सेंसर और प्रतिबंधित पहुँच वाले क्षेत्रों के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण शामिल है। डेटा विश्लेषण का उपयोग करके "भविष्यसूचक रखरखाव" (Predictive Maintenance) यांत्रिक विफलताओं को प्रभावी ढंग से रोक सकता है।

 मानवीय तत्व और प्रशिक्षण: तकनीक, मानवीय सतर्कता का पूरक है, उसका विकल्प नहीं। अच्छी तरह से प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मी, ड्राइवर और कंडक्टर अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आपातकालीन प्रतिक्रिया, प्राथमिक उपचार और यात्रियों को निकालने के लिए नियमित अभ्यास अनिवार्य होने चाहिए। जन जागरूकता अभियान यात्रियों को सुरक्षा प्रोटोकॉल और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने के महत्व के बारे में शिक्षित कर सकते हैं।

 आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया: सुदृढ़ आपातकालीन योजनाएँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनमें स्पष्ट रूप से चिह्नित आपातकालीन निकास, अग्निशमन प्रणाली और नियंत्रण कक्षों तथा आपातकालीन सेवाओं के साथ सीधे संचार चैनल शामिल होने चाहिए। संकट के दौरान त्वरित और समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए नियमित सिमुलेशन अभ्यास आवश्यक हैं।

डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए साइबर सुरक्षा: जैसे-जैसे परिवहन प्रणालियाँ अधिक डिजिटल होती जा रही हैं, उनके नियंत्रण प्रणाली, टिकटिंग नेटवर्क और संचार प्लेटफॉर्म साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। व्यवधानों, डेटा उल्लंघनों और संभावित तोड़फोड़ को रोकने के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों में निवेश करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 फंडिंग और नीतिगत समर्थन: व्यापक सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होती है। सरकारों को पर्याप्त धन आवंटित करना चाहिए और स्पष्ट, लागू करने योग्य नीतियाँ और नियम बनाने चाहिए। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnerships - PPP) भी सुरक्षा उन्नयन के वित्तपोषण और निष्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

 अंतर-एजेंसी सहयोग: सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है। परिवहन अधिकारियों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, खुफिया इकाइयों और यहाँ तक कि स्वास्थ्य सेवाओं को सहज समन्वय और सूचना-साझाकरण तंत्र स्थापित करना चाहिए। संयुक्त अभ्यास और खुफिया जानकारी साझा करना आवश्यक है।

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