img

Up Kiran, Digital Desk: शनिवार शाम को अचानक पूर्वोत्तर भारत और पड़ोसी देशों में धरती कांप उठी। सिलीगुड़ी में शाम 4 बजकर 41 मिनट पर महसूस किए गए झटकों ने आम लोगों को चौंका दिया। लोग घबराकर घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। यह भूकंप असम के धेकियाजुली से करीब 16 किलोमीटर दूर केंद्रित था और इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.9 मापी गई।

झटकों की गूंज सात देशों तक पहुंची

इस तीव्र झटकों का असर न केवल भारत तक सीमित रहा, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार और चीन में भी कंपन महसूस की गई। कई जगहों पर लोग डर के कारण खुले मैदानों में निकल आए। हाल ही में 2 सितंबर को भी असम के सोनितपुर इलाके में 3.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जिससे लगातार हो रही भू-गर्भीय गतिविधियों की पुष्टि होती है।

म्यांमार फिर बना भूकंप का केंद्र

भूकंपीय हलचल की दृष्टि से म्यांमार एक बार फिर सुर्खियों में है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, शनिवार को म्यांमार में 4.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज हुआ, जिसकी गहराई 10 किलोमीटर थी। इससे पहले 4 सितंबर को भी वहां 4.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जो 120 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था।

टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव से बढ़ा खतरा

म्यांमार की भौगोलिक स्थिति इसे लगातार भू-गर्भीय खतरे में रखती है। यह इलाका चार प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों — भारतीय, यूरेशियन, सुंडा और बर्मा प्लेट — के बीच स्थित है, जो आपस में टकराते रहते हैं। यह टकराव न केवल भूकंप का कारण बनता है, बल्कि सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ा देता है।