Up kiran,Digital Desk : यह रहा ताइवान और चीन के बीच बढ़ती तनातनी और ताइवान के बड़े फैसले पर आधारित एक नेचुरल और कन्वर्सेशनल स्टाइल में लिखा गया आर्टिकल।
चीन और ताइवान के बीच का तनाव दुनिया से छिपा नहीं है। ड्रैगन (चीन) लगातार अपनी सैन्य ताकत दिखाकर ताइवान को डराने की कोशिश करता रहा है, लेकिन अब ताइवान ने साफ़ कर दिया है कि वह डरने वाला नहीं है। इसे कहते हैं 'ईंट का जवाब पत्थर से देना'। ताइवान ने चीन की आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अपनी कमर कस ली है।
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते (Lai Ching-te) ने दुनिया को एक कड़ा संदेश दिया है। 'वाशिंगटन पोस्ट' में लिखे एक लेख में उन्होंने ऐलान किया है कि देश अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए 40 बिलियन डॉलर (अरबों रुपये) का एक्स्ट्रा रक्षा बजट पेश करने जा रहा है। यह ताइवान के इतिहास का एक बहुत बड़ा कदम है।
चीन को क्यों लग सकती है मिर्ची?
जाहिर है, इस खबर से चीन का नाराज होना तय है। पिछले पांच सालों में चीन ने ताइवान को अपना हिस्सा बताने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। कभी समंदर में जंगी जहाज भेजना तो कभी हवाई सीमा का उल्लंघन करना—बीजिंग ने ताइपे पर हर तरह का दबाव बनाया है। लेकिन ताइवान ने हर बार चीन के दावों को खारिज किया है।
अब राष्ट्रपति चिंग-ते का यह नया पैकेज बताता है कि ताइवान सिर्फ़ बातों से नहीं, बल्कि ताकत से अपनी आजादी बचाना चाहता है।
क्या है ताइवान का प्लान?
इस भारी-भरकम बजट का बड़ा हिस्सा नए अमेरिकी हथियार खरीदने में जाएगा। लाई चिंग-ते का कहना है कि उनका मकसद ताइवान की 'विषम क्षमताओं' (Asymmetric capabilities) को बढ़ाना है। आसान भाषा में कहें तो, वे खुद को इतना मजबूत बनाना चाहते हैं कि अगर चीन बल प्रयोग करने की सोचे, तो उसे यह एहसास हो जाए कि हमला करना उसे बहुत महंगा पड़ेगा और जीत की कोई गारंटी नहीं होगी। इसे 'डिटरेंस' या निवारण की रणनीति कहते हैं।
ट्रंप और अमेरिका का रोल
ताइवान अपनी सुरक्षा पर जीडीपी का खर्च बढ़ा रहा है। 2026 तक यह खर्च करीब 30.25 अरब डॉलर तक पहुँचने का प्रस्ताव है, जो जीडीपी का 3 फीसदी से ज्यादा है। लाई का सपना इसे 2030 तक 5 फीसदी तक ले जाने का है।
अपने लेख में राष्ट्रपति लाई ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि "हम ट्रंप के आभारी हैं" जिन्होंने दुनिया भर में अमेरिकी ताकत का अहसास कराया है। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने ताइवान को लड़ाकू विमानों के पार्ट्स के लिए 330 मिलियन डॉलर के पैकेज को मंजूरी दी थी। हालांकि, ताइवान को अमेरिका से अभी और भी हथियारों की उम्मीद है।
बातचीत के दरवाजे भी खुले हैं
इतनी तैयारियों के बावजूद ताइवान ने शांति का रास्ता नहीं छोड़ा है। राष्ट्रपति लाई ने साफ़ कहा कि वे चीन के साथ बातचीत करने को तैयार हैं। लेकिन इसमें एक शर्त है— लोकतंत्र और आजादी से कोई समझौता नहीं होगा। उनका कहना है कि बातचीत बराबरी के स्तर पर होनी चाहिए, न कि दबाव में।
कुल मिलाकर, ताइवान ने दुनिया को बता दिया है कि वह एक छोटा देश जरूर है, लेकिन अपनी संप्रभुता के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
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