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Up Kiran, Digital Desk:  बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। इस बार मामला बेहद गंभीर है—शिक्षा विभाग ने उन शिक्षकों की पहचान शुरू कर दी है जो फर्जी प्रमाण-पत्रों के सहारे वर्षों से सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। इस खुलासे के बाद विभाग एक्शन मोड में आ गया है और ऐसे शिक्षकों की अब खैर नहीं।

स्थानीय निकाय शिक्षक सक्षमता परीक्षा 2024 (II) से हुआ बड़ा खुलासा

हाल ही में आयोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा 2024 (II) के बाद जब दस्तावेजों की जांच शुरू हुई तो एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जांच में पाया गया कि 24 शिक्षकों के प्रमाण-पत्र संदिग्ध हैं। इन्हें 8 मई को पटना मुख्यालय में सत्यापन के लिए बुलाया गया था लेकिन केवल 8 शिक्षक ही पहुंचे। बाकी 18 शिक्षक बिना सूचना के गायब रहे। अब विभाग ने उन्हें अंतिम मौका देते हुए 15 मई को फिर से बुलाया है। इस बार भी अगर वे नहीं आए तो उनकी नौकरी सीधे खतरे में पड़ सकती है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

12 जिलों से जुड़े हैं ये फर्जी प्रमाण-पत्र वाले शिक्षक

शिक्षा विभाग के उप निदेशक अब्दुस सलाम अंसारी ने इस संबंध में 12 जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) को पत्र भेजा है। जिन जिलों से ये मामले सामने आए हैं उनमें शामिल हैं-

नालंदा: सुनील कुमार रणजीत कुमार सिंह

रोहतास: पुष्पा कुमारी बैकुंठ साह

गया: मोजामिल हुसैन आशा कुमारी संजय कुमार ठाकुर

औरंगाबाद: प्रियंका हरिनंदन विश्वकर्मा सुरेंद्र कुमार सिन्हा

भागलपुर: सुनील कुमार साह

खगड़िया: रंजू कुमारी

बेगूसराय: फरहत जहां

जहानाबाद: अवनीश कुमार

सीतामढ़ी: पूजा कुमारी

वैशाली: सुजीत कुमार

गोपालगंज: ज्योति शर्मा

मधुबनी: मनीष कुमार सिंह

क्या हैं फर्जी प्रमाण-पत्रों के प्रकार

जांच में पता चला है कि कई शिक्षकों ने फर्जी मैट्रिक इंटरमीडिएट स्नातक या सीटीईटी (CTET) के प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किए थे। कुछ मामलों में तो पूरा नियोजन ही संदेह के घेरे में है। इसका मतलब यह है कि न सिर्फ उनकी डिग्रियां फर्जी हैं बल्कि जिस प्रक्रिया से वे शिक्षक बने वह भी गलत है।

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