Up Kiran, Digital Desk: मिजोरम की सरकार ने एक ऐसा बड़ा कदम उठाया है जिसके बारे में हर तरफ बात हो रही है। विधानसभा में एक नया बिल पास किया गया है, जिसका मकसद राज्य में भीख मांगने की प्रथा को पूरी तरह से खत्म करना है। ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) की सरकार यह नया कानून लाई है, हालांकि विपक्ष (MNF) इसके पक्ष में नहीं है।
लेकिन यह कानून सिर्फ पाबंदी लगाने के बारे में नहीं है, और यही बात इसे खास बनाती है।
मकसद सजा नहीं, सहारा देना है
मिजोरम की समाज कल्याण मंत्री लालरिनपुई ने इस बिल को पेश करते हुए एक बहुत जरूरी बात कही। उन्होंने बताया, "हमारा मकसद सिर्फ भीख मांगने पर रोक लगाना नहीं है। हम चाहते हैं कि जो लोग भीख मांगने को मजबूर हैं, उन्हें सहारा दिया जाए, उन्हें फिर से अपने पैरों पर खड़ा किया जाए।"
सरकार की योजना है कि ऐसे लोगों को रोजी-रोटी कमाने के नए और पक्के साधन दिए जाएंगे और उनकी हर तरह से मदद की जाएगी ताकि वे सम्मान की जिंदगी जी सकें।
अभी हालात कैसे हैं:मंत्री ने माना कि मिजोरम में भीख मांगने की समस्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। उन्होंने कहा, "फिलहाल भिखारियों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन राज्य के सामाजिक ढांचे की वजह से कुछ लोग इस स्थिति में हैं।"
उन्होंने यह भी बताया कि चर्च और कई सामाजिक संस्थाएं (NGOs) पहले से ही इस समस्या को रोकने के लिए काम कर रही हैं। साथ ही, सरकार की भी कई योजनाएं चल रही हैं ताकि गरीब और बेसहारा लोगों तक मदद पहुंचाई जा सके।
यह नया कानून इन सभी कोशिशों को एक साथ जोड़कर, भीख मांगने की समस्या को जड़ से खत्म करने का एक बड़ा और सोचा-समझा प्रयास है। यह सिर्फ एक प्रतिबंध नहीं, बल्कि लोगों को एक बेहतर कल देने की उम्मीद है।

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