
Up Kiran, Digital Desk: क्या आप जानते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब आप भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की पावन कथा सुनते हैं? इस वर्ष, 16 अगस्त 2025 को आने वाली जन्माष्टमी, न केवल भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व है, बल्कि यह आपके जीवन में सुख, समृद्धि और पापों से मुक्ति पाने का एक सुनहरा अवसर भी है। जन्माष्टमी की व्रत कथा सुनना और उसका महत्व समझना, इस पर्व की आत्मा है।
जन्माष्टमी व्रत कथा: वह कहानी जो जीवन बदल दे
जन्माष्टमी का व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं, मध्यरात्रि में कान्हा के जन्म का उत्सव मनाते हैं और सबसे महत्वपूर्ण, श्रीकृष्ण जन्म की कथा का श्रवण करते हैं। यह कथा कंस के अत्याचारों, देवकी-वासुदेव के कष्टों और भगवान कृष्ण के जन्म की अलौकिक गाथा का वर्णन करती है। इस कथा के बिना जन्माष्टमी का व्रत अधूरा माना जाता है।
जन्माष्टमी व्रत कथा सुनने के अनमोल फायदे!
जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जन्म की कथा का श्रवण करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इसके कई लाभ हैं:
पापों से मुक्ति: पुराणों के अनुसार, जो भक्त भक्तिभाव से जन्माष्टमी की कथा सुनते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और वे उत्तम गति को प्राप्त करते हैं
सुख-समृद्धि की प्राप्ति: इस कथा को सुनने मात्र से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और घर में लक्ष्मी का वास होता है
संतान सुख: मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन इस कथा का पाठ करने से निसंतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है।
संकटों से छुटकारा: यदि आप जीवन में किसी बड़े संकट से गुजर रहे हैं, तो जन्माष्टमी कथा सुनने से कष्ट दूर होते हैं।
ऐश्वर्य और मोक्ष: स्कंद पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत करता है और कथा सुनता है, वह ऐश्वर्य, मुक्ति, आयु, कीर्ति, यश, लाभ, पुत्र-पौत्र आदि सब कुछ प्राप्त कर अंत में मोक्ष को पाता है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार: कथा सुनने से भक्तजनों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
धर्म की जीत: यह कथा सिखाती है कि अधर्म और अन्याय पर हमेशा धर्म और सत्य की जीत होती है, जो जीवन को सही दिशा दिखाती है।
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा का संक्षिप्त सार
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मथुरा के राजा कंस न अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को कारागार में डाल दिया था, क्योंकि एक भविष्यवाणी में कहा गया था कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस का वध करेगा। कंस ने देवकी के सभी सात बच्चों को मार दिया था। जब भगवान विष्णु ने आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ में प्रवेश किया, तो उनके जन्म के समय कारागार के द्वार स्वतः खुल गए और यमुना नदी ने वासुदेव को रास्ता दिया। वासुदेव जी शिशु कृष्ण को गोकुल में नंद बाबा और यशोदा मैया के पास छोड़ आए। यह अलौकिक जन्म और कंस के अत्याचारों से मुक्ति की गाथा ही जन्माष्टमी की व्रत कथा है।
जन्माष्टमी 2025: महत्वपूर्ण तिथियाँ और मुहूर्त
इस वर्ष, 16 अगस्त 2025 (शनिवार) को मथुरा और वृदावन सहित देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को देर रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा
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