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Up Kiran, Digital Desk: प्रशांत महासागर की गहराइयों से उठे एक विशाल भूकंप ने एक बार फिर वैश्विक समुद्री सुरक्षा और तटीय इलाकों की सतर्कता को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। बुधवार सुबह रूस के कामचटका प्रायद्वीप में आए 8.8 तीव्रता के इस शक्तिशाली भूकंप ने न केवल रूस बल्कि जापान, अमेरिका और पूरे प्रशांत क्षेत्र को अलर्ट मोड में ला दिया।

तटीय इलाकों में समुद्र का प्रकोप—लहरों की ऊँचाई 4 मीटर तक पहुँची

रूसी अधिकारियों के अनुसार, कामचटका क्षेत्र के कुछ हिस्सों में 3 से 4 मीटर ऊँची सुनामी की लहरें देखी गईं। जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने भी पुष्टि की कि सुबह 8:25 बजे आए इस भूकंप के बाद जापान के कई हिस्सों में एक मीटर तक की सुनामी की चेतावनी दी गई।

विस्तार में खतरा—अमेरिका और जापान की चिंताएं बढ़ीं

अमेरिकी और जापानी एजेंसियों ने चेताया कि यह भूगर्भीय हलचल तटीय इलाकों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र समुद्र के भीतर 19.3 किलोमीटर की गहराई में स्थित था, जो जापान के होक्काइडो द्वीप से लगभग 250 किलोमीटर दूर है। वहीं, एनएचके चैनल के हवाले से खबर है कि होक्काइडो और रूस के कुरील द्वीप समूह के पास सुनामी की हल्की लहरें दर्ज की गई हैं।

हवाई और अलास्का में अलर्ट, अमेरिकी तट भी निगरानी में

होनोलूलू में सायरन बजाए गए और नागरिकों को ऊँचाई वाले स्थानों की ओर जाने की सलाह दी गई। अलास्का स्थित राष्ट्रीय सुनामी चेतावनी केंद्र ने अल्यूशियन द्वीप समूह और अमेरिका के पश्चिमी तट (कैलिफोर्निया, वाशिंगटन, ओरेगन और हवाई) के लिए निगरानी जारी रखी है। अलास्का के कुछ इलाकों के लिए बाकायदा चेतावनी जारी की गई है।

वैज्ञानिकों की चिंता—उथले केंद्रों से बड़ा खतरा

टोक्यो विश्वविद्यालय के वरिष्ठ भूकंप विशेषज्ञ शिनिची सकाई ने बताया कि यदि गहराई कम हो और ऊर्जा ज़्यादा हो, तो दूर-दराज़ के देशों में भी लहरें पहुंच सकती हैं। यही वजह है कि जापान जैसे भूकंप-प्रवण देश हर ऐसे झटके पर हाई अलर्ट पर चला जाता है।

इतिहास दोहरा रहा है क्या?

कामचटका क्षेत्र पहले भी भयानक भूकंपों का गवाह रह चुका है। जुलाई में यहाँ एक के बाद एक पाँच भूकंप दर्ज किए गए थे। 1952 में आए 9 तीव्रता के भूकंप ने हवाई तक को झकझोर दिया था, जब वहाँ 9 मीटर से ऊँची सुनामी की लहरें उठी थीं।

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