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Up Kiran, Digital Desk: फतेहाबाद की शांत गलियों में उस दिन सन्नाटा कुछ ज़्यादा गहरा था। विजय नगर कॉलोनी के आठ साल के मासूम अभय की किलकारियाँ 30 अप्रैल की दोपहर अचानक खामोश हो गईं। बाहर खेलते-खेलते गायब हुआ बच्चा वापस नहीं लौटा, और अब—करीब 80 दिन बाद उसकी कहानी मौत की बेरहम दास्तां बन चुकी है।

पुलिस ने जब पूरे मामले का खुलासा किया, तो मोहल्ला सिहर उठा। सामने आया कि जिस पड़ोसी के पास बच्चे का हंसते-खेलते जाना आम बात थी, उसी ने उसकी हत्या कर दी। सिर्फ रंजिश और लालच की आग में जलते हुए।

चीखने लगा मासूम, तो गला दबा दिया

पुलिस ने रविवार को इस सनसनीखेज वारदात का पर्दाफाश करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। खुलासा हुआ कि अभय के पड़ोसी कृष्णा उर्फ भजनलाल (निवासी गढ़ी साबराय, फतेहाबाद) और एक वेल्डर राहुल ने मिलकर इस पूरे वारदात को अंजाम दिया। दोनों ने अभय को स्कूटी पर बिठाकर राजस्थान के मनिया इलाके में ले जाया। लेकिन रास्ते में जब बच्चा रोने लगा, मम्मी-पापा को याद कर चीखने लगा, तो दरिंदों ने मासूम की सांसें गला घोंटकर हमेशा के लिए थाम दीं।

हत्या के बाद भी चलती रही फिरौती की मांग

हत्यारे यहीं नहीं रुके। बच्चे की लाश को बोरे में बंदकर स्कूटी पर ही रखा और मनिया में सुनसान जगह पर गड्ढा खोदकर उसे दफना दिया। इसके बाद दोनों वापस आए, जैसे कुछ हुआ ही न हो। कॉलोनी में घूमते रहे, सामान्य व्यवहार करते रहे। और इस सबके बीच, मृतक के परिवार को डराते रहे—फिरौती के चार पत्र भेजे, जिनमें 80 लाख रुपये की मांग की गई थी।

80 दिन बाद मिला शव, उसी की निशानदेही से

शनिवार को पुलिस ने मुख्य आरोपी कृष्णा को प्रतापपुरा पुलिया के पास से दबोचा। पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि उसी ने अभय की हत्या की। उसकी निशानदेही पर पुलिस की टीम ने राजस्थान के मनिया इलाके से शव को बरामद किया। शव की हालत देख हर आंख नम हो गई।

रविवार को दूसरा आरोपी राहुल भी गिरफ्तार हो गया, जो कि अभय के घर के ठीक सामने रहता है। रोज वेल्डिंग का काम करता, हंसता-बोलता नजर आता, लेकिन अंदर ही अंदर वो एक कातिल रहस्य छिपाए बैठा था।

बदले की आग और लालच की साजिश

पुलिस जांच में सामने आया कि कृष्णा की मृतक के पिता विजय प्रकाश और ताऊ राजेश से कुछ दिन पहले झड़प हो चुकी थी। तभी से वह बदले की भावना पाले बैठा था। ऊपर से उस पर कॉलोनी के कई लोगों का पैसा भी बकाया था, जो उसने नौकरी दिलाने के नाम पर लिया था। उसे डर था कि कहीं उसकी पोल न खुल जाए, इसलिए उसने फिरौती के लिए मासूम की जान लेने तक की योजना बना डाली।

देर तक निभाता रहा दोस्ती का नाटक

हत्याकांड की सबसे भयावह परत तब खुली जब पता चला कि कृष्णा ने घटना से 15 दिन पहले अभय से जानबूझकर दोस्ती बढ़ाई थी। रोजाना उसे टॉफी देता, दुलारता, भरोसा जीतता… ताकि अपहरण की दिन स्कूटी पर बैठाने में कोई दिक्कत न हो। उसने दो महीने पहले से यह साजिश बुननी शुरू कर दी थी।

“एक दिन बड़ा करूंगा…” और वह दिन ऐसा निकला

मृतक के तहेरे भाई विनीत की बात दिल दहला देने वाली थी। उन्होंने बताया, “अभय अक्सर कृष्णा की दुकान पर बैठता था। एक दिन उसने मजाक में कहा था—‘एक दिन ऐसा करूंगा कि सब याद करेंगे।’ हमें क्या पता था कि वो मासूम के साथ ऐसा कायरता भरा काम करेगा।”

35 लाख की ज़मीन बनी खून की वजह

घटना से छह माह पहले मृतक के बाबा जगदीश ने 35 लाख रुपये की जमीन बेची थी। इस बात की भनक कृष्णा को लग चुकी थी। उसे यकीन था कि अभय के घर में पैसा है, और यही लालच उसे इस हैवानियत तक ले आया।

 

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