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Up Kiran, Digital Desk: बिहार के अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड में भ्रष्टाचार का ऐसा मामला सामने आया है जिसने प्रशासन की साख को हिला कर रख दिया है। मंगलवार देर रात पटना से आई विशेष निगरानी टीम ने रानीगंज के विकास पदाधिकारी (BDO) रितम कुमार चौहान को डेढ़ लाख रुपये नकद घूस लेते हुए अरेस्ट कर लिया। उनके साथ प्रखंड कार्यालय के सहायक लेखापाल आदित्य प्रियदर्शी को भी हिरासत में लिया गया है।
घटना का संक्षिप्त विवरण
निगरानी विभाग की कार्रवाई का आधार रानीगंज प्रखंड उप प्रमुख कलानंद सिंह (कैलू सिंह) की शिकायत थी। उन्होंने बताया कि प्रखंड में एक सरकारी योजना के कुल 15 लाख रुपये की राशि में बीडीओ ने 10 प्रतिशत कमीशन यानी डेढ़ लाख रुपये की घूस की मांग की थी।
विकास पदाधिकारी ने वरीय अधिकारियों के आदेश के बावजूद योजना के भुगतान के लिए चेक काटने से इंकार कर दिया था। इसके बदले उन्होंने अपने कार्यालय सहायक लेखापाल के माध्यम से उप प्रमुख से घूस की रकम की मांग की।
जब उप प्रमुख ने बीडीओ से इस मामले में बातचीत की तो बीडीओ ने चेक कटने के लिए घूस देने की बात स्वीकार की। इसके बाद उप प्रमुख ने निगरानी विभाग को शिकायत की।
निगरानी विभाग की कार्रवाई
शिकायत के आधार पर पटना से आई विशेष निगरानी टीम ने रानीगंज में दिनभर छापेमारी की और बीडीओ के आवास पर देर रात छापा मारा। जब उप प्रमुख द्वारा घूस की रकम बीडीओ को दी जा रही थी तब निगरानी टीम ने दोनों को रंगे हाथ अरेस्ट कर लिया।
निगरानी विभाग के डीएसपी चंद्रभूषण कुमार ने बताया कि यह कार्रवाई शिकायत की पुष्टि में की गई है। वे यह भी स्पष्ट कर चुके हैं कि यह केवल एक शुरुआत है और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जरूरत
यह घटना बिहार में भ्रष्टाचार के विरुद्ध हो रही मुहिम की सफलता का प्रतीक है। विकास पदाधिकारी जैसे सरकारी अधिकारी जो जनता की सेवा करने के बजाय भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई आवश्यक है।
सरकारी योजनाओं के पैसे सीधे जरूरतमंदों तक पहुंचें यह सुनिश्चित करना सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है। भ्रष्टाचार न केवल योजना की प्रभावशीलता को प्रभावित करता है बल्कि जनता के विश्वास को भी चोट पहुंचाता है।
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