Up Kiran, Digital Desk: कल्पना कीजिए, बच्चे स्कूल यूनिफॉर्म में तैयार होकर पढ़ने जाएं और वहां गेट पर एक बड़ा सा ताला लटका मिले। यह किसी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि तेलंगाना के खम्मम जिले के एक सरकारी स्कूल की कड़वी हकीकत है। यहां सरकार पिछले तीन साल से स्कूल की बिल्डिंग का किराया नहीं दे पाई, तो तंग आकर मकान मालिक ने 'शिक्षा के मंदिर' पर ही ताला जड़ दिया।
अब आलम यह है कि स्कूल के 60 छोटे-छोटे बच्चे और उनके शिक्षक सड़क पर आ गए हैं और पास के एक पेड़ के नीचे क्लास लगाने को मजबूर हैं।
पेड़ के नीचे लग रही है भविष्य की पाठशाला
यह शर्मसार करने वाली घटना खम्मम ग्रामीण मंडल के गोलागुडेम गांव की है। यहां का MPP (मंडल प्रजा परिषद) प्राइमरी स्कूल एक निजी बिल्डिंग में किराए पर चलता है, जिसमें पहली से पांचवीं कक्षा तक के लगभग 60 बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन सरकार के शिक्षा विभाग की लापरवाही का आलम देखिए कि उन्होंने पिछले तीन सालों से इस बिल्डिंग का किराया ही नहीं चुकाया था।
जब बार-बार कहने पर भी किराया नहीं मिला, तो मकान मालिक का सब्र भी जवाब दे गया और उसने स्कूल के मेन गेट पर ताला लगा दिया। अब टीचर और बच्चे रोज आते हैं, बंद गेट को देखते हैं और फिर पास के एक पेड़ के नीचे दरी बिछाकर अपनी 'पाठशाला' शुरू कर देते हैं।
हमारे बच्चों का क्या कसूर? पूछ रहे हैं मां बाप
पेड़ के नीचे, धूल और शोर के बीच बच्चों को पढ़ना कितना मुश्किल होता है, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। न ब्लैकबोर्ड है, न बैठने के लिए डेस्क, और न ही कोई सुरक्षा।
बच्चों के माता-पिता इस स्थिति को लेकर बेहद गुस्से में और चिंतित हैं। उनका कहना है, अधिकारियों की लापरवाही की सजा हमारे बच्चे क्यों भुगतें? अगर सरकार एक छोटा सा किराया नहीं दे सकती, तो हमारे बच्चों के भविष्य का क्या होगा? हम चाहते हैं कि अधिकारी तुरंत इस मामले में दखल दें और स्कूल का ताला खुलवाएं।
यह घटना सरकारी सिस्टम पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती है। एक तरफ जहां सरकार 'सब पढ़ें, सब बढ़ें' जैसे नारे देती है, वहीं दूसरी तरफ उसके अपने स्कूल का किराया तक नहीं भरा जाता, जिससे बच्चों का भविष्य दांव पर लग जाता है। अब देखना यह है कि अधिकारियों की नींद कब खुलती है और इन 60 बच्चों को वापस उनके क्लासरूम की छत कब नसीब होती है।
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