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Up Kiran, Digital Desk: आजकल बच्चों के एडमिशन के समय माता-पिता के मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि सीबीएसई (Central Board of Secondary Education) और आईसीएसई (Indian Certificate of Secondary Education) में से कौन सा बोर्ड बेहतर है। दोनों ही बोर्ड देश में काफी लोकप्रिय हैं और शिक्षा का एक अच्छा स्तर प्रदान करते हैं। लेकिन, दोनों के सिलेबस, पढ़ाने के तरीके और परीक्षा पैटर्न में कुछ खास अंतर हैं, जिन्हें समझना आपके लिए ज़रूरी है।

1. सिलेबस और विषय:

सीबीएसई: सीबीएसई का सिलेबस काफी हद तक NCERT (National Council of Educational Research and Training) पर आधारित होता है। यह राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे JEE, NEET आदि के लिए एक मजबूत नींव तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसका सिलेबस व्यापक और सीधा होता है, जिसमें मुख्य रूप से विज्ञान (Physics, Chemistry, Biology) और गणित पर ज़्यादा जोर दिया जाता है। इसमें विषयों का चुनाव 10वीं के बाद स्ट्रीम (Science, Commerce, Arts) के आधार पर होता है।

आईसीएसई: आईसीएसई का सिलेबस थोड़ा ज़्यादा विस्तृत, गहरा और चुनौतीपूर्ण माना जाता है। यह केवल विज्ञान और गणित तक सीमित नहीं है, बल्कि भाषा, कला, सामाजिक विज्ञान और अन्य विषयों को भी समान महत्व देता है। आईसीएसई अपने छात्रों की अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़, विश्लेषणात्मक कौशल और व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। इसमें विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध होती है, जिसमें कुछ रचनात्मक विषय जैसे फैशन डिज़ाइन, कुकिंग आदि भी शामिल हो सकते हैं।

2. पढ़ाने का तरीका (Pedagogy):

सीबीएसई: सीबीएसई का फोकस बच्चों को कॉन्सेप्चुअल (वैचारिक) समझ और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने पर रहता है। इसे अक्सर 'रट्टा मारने' की बजाय 'समझने' पर ज़्यादा ज़ोर देने वाला माना जाता है, लेकिन इसका मुख्य लक्ष्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी है।

आईसीएसई: आईसीएसई ज़्यादातर 'प्रैक्टिकल' (व्यावहारिक) और 'एनालिटिकल' (विश्लेषणात्मक) ज्ञान पर ज़ोर देता है। इसमें प्रोजेक्ट वर्क, आंतरिक मूल्यांकन और विषयों की गहरी समझ पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है। आईसीएसई के प्रश्न अक्सर केस स्टडी या सीधे न पूछकर घुमा फिराकर पूछे जाते हैं, जिससे छात्रों की सोचने की क्षमता बढ़ती है।

3. परीक्षा पैटर्न और मूल्यांकन:

सीबीएसई: सीबीएसई के एग्जाम पैटर्न को ज़्यादा सीधा और मानकीकृत (standardized) माना जाता है। इसमें ऑब्जेक्टिव (बहुविकल्पीय) और सब्जेक्टिव (लघु उत्तरीय/दीर्घ उत्तरीय) दोनों तरह के प्रश्न होते हैं, लेकिन पेपर ज़्यादातर सीधे होते हैं। यह ग्रेडिंग सिस्टम का उपयोग करता है।

आईसीएसई: आईसीएसई के पेपर को आमतौर पर सीबीएसई से ज़्यादा कठिन माना जाता है। इसमें सब्जेक्टिव प्रश्नों, विस्तृत उत्तरों और भाषा के सही प्रयोग पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है। अंकों का विभाजन बाहरी मूल्यांकन (80%) और आंतरिक मूल्यांकन (20%) में होता है, और छात्रों का मूल्यांकन संख्यात्मक अंकों में किया जाता है।

 भाषा का माध्यम:

सीबीएसई: सीबीएसई स्कूलों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यमों में पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध होती है, जिससे यह छात्रों के लिए ज़्यादा सुलभ हो जाता है।

आईसीएसई: आईसीएसई स्कूलों में शिक्षा का माध्यम केवल अंग्रेजी ही होता है। यह उन छात्रों के लिए बहुत फायदेमंद है जो विदेश में उच्च शिक्षा या करियर बनाना चाहते हैं, क्योंकि यह उनकी अंग्रेजी भाषा कौशल को मजबूत करता है।

 मान्यता और भविष्य:

सीबीएसई: पूरे भारत में सीबीएसई स्कूलों की संख्या बहुत ज़्यादा है, और इसका सिलेबस राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं के पैटर्न से मेल खाता है। इसलिए, यदि आपका लक्ष्य भारत में इंजीनियरिंग, मेडिकल या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना है, तो सीबीएसई एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

आईसीएसई: आईसीएसई का सिलेबस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी मान्य है। यदि आप विदेश में उच्च शिक्षा या किसी ऐसे करियर में रुचि रखते हैं जहाँ अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ ज़रूरी हो, तो आईसीएसई एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।