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Up Kiran, Digital Desk: भारत के आम निवेशक जल्द ही देश में बैठे-बैठे ही सीधे तौर पर गूगल, एपल और टेस्ला जैसी विदेशी कंपनियों के शेयरों में आसानी से पैसा लगा सकेंगे. गुजरात की गिफ्ट सिटी (GIFT City) में रिटेल फंड्स यानी आम निवेशकों के लिए फंड्स को मंजूरी मिलना इस दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है. इसे भारत का अपना 'वॉल स्ट्रीट' बनाने के सपने की तरह देखा जा रहा है.

लेकिन क्या यह रास्ता इतना आसान है? फेयरसाइडर (Foreside) के एशिया-पैसिफिक हेड वैभव शाह का मानना है कि यह एक शानदार शुरुआत है, लेकिन अभी भी कई बड़ी चुनौतियां बाकी हैं.

क्या है गिफ्ट सिटी और यह आम निवेशक के लिए क्यों है खास?

गिफ्ट सिटी (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) है. इसे एक ऐसे विदेशी इलाके की तरह डिजाइन किया गया है, जो है तो भारत में, पर यहां नियम-कानून और टैक्स विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने वाले हैं.

अब तक यहां सिर्फ बड़े और संस्थागत निवेशक ही पैसा लगा पाते थे. लेकिन अब सरकार ने यहां 'रिटेल फंड्स' को मंजूरी दे दी है, जिसका मतलब है कि म्यूचुअल फंड कंपनियां यहां ऐसे फंड्स लॉन्च कर सकती हैं, जिनमें आप और हम जैसे छोटे निवेशक भी पैसा लगाकर सीधे विदेशी बाजारों में निवेश कर पाएंगे.

क्या हैं बड़े फायदे? आसानी से विदेशी निवेश: अब आपको विदेशी बाजारों में पैसा लगाने के लिए जटिल तरीकों से गुजरने की जरूरत नहीं होगी.

टैक्स में बचत: गिफ्ट सिटी में टैक्स नियम काफी उदार हैं, जिससे निवेशकों को फायदा मिल सकता है.

रुपये में निवेश: सबसे बड़ी बात यह है कि आपको डॉलर में पैसा लगाने की चिंता नहीं करनी होगी. आप रुपये में निवेश करेंगे और फंड मैनेजर उसे डॉलर में बदलकर विदेशी बाजार में लगाएगा.

तो फिर चुनौतियां क्या हैं: वैभव शाह के मुताबिक, तस्वीर उतनी भी गुलाबी नहीं है जितनी दिखती है. कुछ बड़ी रुकावटें हैं:

LRS की सीमा: भारत का लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) कानून हर भारतीय को एक साल में सिर्फ 2.5 लाख डॉलर (लगभग 2 करोड़ रुपये) ही विदेश भेजने की इजाजत देता है. शाह का कहना है कि अगर गिफ्ट सिटी में भी यही सीमा लागू होती है, तो बड़े अमीर निवेशक (HNIs) शायद यहां आने के बजाय सीधे दुबई या सिंगापुर से ही निवेश करना पसंद करेंगे, जहां कोई सीमा नहीं है.

टैक्स के नियम साफ नहीं: अभी तक यह साफ नहीं है कि गिफ्ट सिटी से होने वाली कमाई पर भारत में कितना और कैसा टैक्स लगेगा. अगर यहां भी वही नियम लागू हुए जो भारत में होते हैं, तो निवेशक यहां क्यों आएंगे?

जागरूकता की कमी: सबसे बड़ी चुनौती यह है कि भारत के ज्यादातर छोटे निवेशकों और डिस्ट्रिब्यूटर्स को अभी गिफ्ट सिटी और इसके फायदों के बारे में पता ही नहीं है.

आगे का रास्ता: वैभव शाह का मानना है कि सरकार को इन चुनौतियों पर ध्यान देना होगा. अगर LRS की सीमा में ढील दी जाती है और टैक्स के नियम आसान और स्पष्ट बनाए जाते हैं, तो गिफ्ट सिटी वाकई में भारत का अपना वॉल स्ट्रीट बन सकता है, जहां से न सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी भी पैसा लगाना पसंद करेंगे.