
world news: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से कूटनीति के मायने बदल गए हैं। कूटनीति में ये माना जाता था कि भले ही जमीनी स्तर पर मित्रता स्थापित न हो पाए, मगर औपचारिक भाषा में मर्यादा बनाए रखी जानी चाहिए। मगर डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से कूटनीतिक भाषा बदल गई है। डोनाल्ड ट्रंप को हर बात साफ-साफ कहने की आदत है और यही कारण है कि व्हाइट हाउस के अंदर उनकी यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से तीखी बहस हो गई।
दो देशों के राष्ट्रपतियों के बीच बैठक में यह एकमात्र ऐसा पल था जिसमें इस तरह की बहस हुई। डोनाल्ड ट्रंप रूस के साथ युद्ध समाप्त करने के लिए आक्रामक थे और ज़ेलेंस्की झुकने को तैयार नहीं थे। मगर अमेरिका ने यूक्रेन को मदद रोककर उसे बड़ा झटका दिया है।
इतना ही नहीं, अब यूरोप भी चिंतित है। इसका कारण ये है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में इस बात पर बहस चल रही है कि अमेरिका को नाटो छोड़ना चाहिए या नहीं। अधिकांश नाटो देश यूरोपीय हैं। इससे बाहर केवल तुर्की और संयुक्त राज्य अमेरिका ही देश हैं। नाटो का दृढ़ निश्चय है कि यदि किसी मित्र देश पर हमला हुआ तो सभी मिलकर लड़ेंगे।
यही कारण है कि यूरोप का अधिकांश भाग नाटो का हिस्सा है और किसी भी युद्ध में अमेरिकी मदद चाहता है। वहीं, एलन मस्क समेत डोनाल्ड ट्रंप के अधिकांश सहयोगियों का कहना है कि अमेरिका को इस गठबंधन से अलग हो जाना चाहिए।
एलन मस्क का कहना है कि यह गठबंधन अमेरिका के हितों की पूर्ति नहीं करता। इससे उसके संसाधन बर्बाद होते हैं, जबकि केवल यूरोप को लाभ होता है। एक ऐसा यूरोप जो हथियारों पर बहुत कम खर्च करता है और अमेरिका पर निर्भर है। एलन मस्क के अलावा ट्रंप के करीबी एक और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर गुंथर एंजेलमैन ने भी लिखा है कि अब समय आ गया है कि अमेरिका नाटो और संयुक्त राष्ट्र से निकल जाए। इसके अलावा विश्व बैंक को भी त्याग देना चाहिए।
डोनाल्ड ट्रंप के रवैये से भी यह संकेत मिलता है कि वह ऐसी सलाह पर विचार कर सकते हैं। वो स्वयं निरंतर यूरोप पर हमला कर रहे हैं और उसे अपनी सुरक्षा स्वयं व्यवस्थित करने की सलाह दे रहे हैं।