
Up Kiran, Digital Desk: मातृत्व एक खूबसूरत सफर है, लेकिन डिलीवरी के बाद माँ के शरीर और मन में कई बड़े बदलाव आते हैं। शिशु के जन्म के बाद, अक्सर महिलाओं को अपने शरीर में हुए परिवर्तनों को स्वीकार करने और उनसे फिर से जुड़ने में मुश्किल होती है। ऐसे में, पोस्टपार्टम योगा (Postpartum Yoga) एक अद्भुत तरीका है जो नई माताओं को न केवल शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है, बल्कि भावनात्मक और मानसिक रूप से भी उन्हें सहारा देता है। यह खुद के साथ फिर से जुड़ने और मातृत्व की नई यात्रा को स्वीकार करने में मदद करता है।
डिलीवरी के बाद अपने शरीर से फिर जुड़ना क्यों ज़रूरी है?
डिलीवरी, चाहे वह नॉर्मल हो या सिजेरियन, शरीर पर गहरा प्रभाव डालती है। मांसपेशियों में खिंचाव, हॉर्मोनल बदलाव, पीठ दर्द, नींद की कमी और शारीरिक कमज़ोरी आम बात है। इन शारीरिक चुनौतियों के साथ-साथ, नई माताओं को भावनात्मक रूप से भी कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है, जैसे कि मूड स्विंग्स, चिंता या पोस्टपार्टम डिप्रेशन। ऐसे में, अपने शरीर और मन के साथ फिर से तालमेल बिठाना बेहद ज़रूरी हो जाता है ताकि आप अपने शिशु की बेहतर देखभाल कर सकें और खुद को भी स्वस्थ रख सकें।
पोस्टपार्टम योगा के अद्भुत फायदे:
पोस्टपार्टम योगा सिर्फ एक व्यायाम नहीं, बल्कि नई माताओं के लिए एक समग्र उपचार है:
कोर और पेल्विक फ्लोर को मज़बूत करना: डिलीवरी के बाद पेट की मांसपेशियां और पेल्विक फ्लोर कमज़ोर हो जाते हैं। योगा के कुछ आसन इन मांसपेशियों को धीरे-धीरे मजबूत करने में मदद करते हैं, जिससे शरीर को सहारा मिलता है और भविष्य में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।
शरीर को लचीला बनाना और दर्द कम करना: योगा शरीर को लचीलापन देता है और पीठ, गर्दन और कंधों के दर्द को कम करने में मदद करता है, जो अक्सर शिशु को उठाने और दूध पिलाने से होता है।
तनाव और चिंता कम करना: योग में ध्यान और प्राणायाम (सांस लेने के व्यायाम) शामिल होते हैं, जो मन को शांत करते हैं, तनाव कम करते हैं और नींद की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।
ऊर्जा बढ़ाना: नियमित योगा अभ्यास शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है, जिससे नई माताओं को रोज़मर्रा के काम करने में आसानी होती है।
आत्मविश्वास बढ़ाना: अपने शरीर की रिकवरी को महसूस करना और उसमें सुधार देखना नई माताओं में आत्मविश्वास जगाता है और उन्हें अपने शरीर के प्रति सकारात्मक महसूस कराता है।
भावनात्मक संतुलन: योगा मन और शरीर के बीच संतुलन स्थापित करता है, जिससे मूड स्विंग्स और भावनात्मक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलती है।
पोस्टपार्टम योगा कैसे शुरू करें?
डॉक्टर की सलाह: कोई भी व्यायाम शुरू करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें। आमतौर पर नॉर्मल डिलीवरी के 6 हफ्ते बाद और सिजेरियन के 8-12 हफ्ते बाद योग शुरू करने की सलाह दी जाती है।
धीरे-धीरे शुरू करें: शुरुआत में हल्के और आरामदायक आसन करें। शरीर पर ज़्यादा ज़ोर न डालें।
अपने शरीर की सुनें: हर माँ का शरीर अलग होता है। दर्द या असहजता होने पर तुरंत रुक जाएं।
योग्य प्रशिक्षक: पोस्टपार्टम योगा में प्रशिक्षित किसी योग गुरु या प्रशिक्षक की देखरेख में ही अभ्यास करें।
सांस पर ध्यान: योग में सांस का बहुत महत्व है। हर आसन के साथ अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
डिलीवरी के बाद अपनी देखभाल को प्राथमिकता देना बेहद ज़रूरी है। पोस्टपार्टम योगा सिर्फ आपको शारीरिक रूप से फिट नहीं करेगा, बल्कि यह आपको खुद से फिर से जोड़ने, अपनी नई भूमिका को अपनाने और मातृत्व की यात्रा को पूरी खुशी के साथ जीने में मदद करेगा। याद रखें, आप एक योद्धा हैं, और आपकी देखभाल उतनी ही ज़रूरी है जितनी आपके शिशु की।
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