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Up Kiran, Digital Desk: हम सब जानते हैं कि सेहतमंद रहने के लिए व्यायाम कितना ज़रूरी है। खुली हवा में, ताज़ी धूप में कसरत करने की सलाह अक्सर डॉक्टर भी देते हैं। लेकिन सोचिए अगर वही ताज़ी हवा आपके दिमाग को नुकसान पहुँचा रही हो तो? यह बात हैरान करने वाली ज़रूर है, पर एक गंभीर चिंता है। हालिया रिसर्च और डॉक्टरों की चेतावनी यही बताती है कि अगर आप प्रदूषण भरी हवा में बाहर व्यायाम करते हैं, तो यह आपकी शारीरिक सेहत को फ़ायदा पहुँचाने की बजाय आपके दिमाग पर बुरा असर डाल सकती है।

जब हम व्यायाम करते हैं, तो हमारी साँस लेने की दर बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि हम सामान्य से ज़्यादा हवा अपने फेफड़ों में खींचते हैं। और अगर उस हवा में प्रदूषण के बारीक कण (जैसे PM2.5) मौजूद हों, तो वे सीधे हमारे शरीर में अंदर तक चले जाते हैं। ये छोटे कण इतने महीन होते हैं कि फेफड़ों से होते हुए सीधे हमारे खून में मिल जाते हैं और फिर दिमाग तक पहुँच सकते हैं।

तो कैसे दिमाग को नुकसान पहुंचाता है प्रदूषण?

सूजन (Inflammation) बढ़ाना: जब प्रदूषण के कण दिमाग तक पहुँचते हैं, तो शरीर उन्हें एक बाहरी खतरे के रूप में पहचानता है। इससे दिमाग में सूजन (इन्फ्लेमेशन) की प्रतिक्रिया शुरू हो सकती है। लंबे समय तक रहने वाली सूजन दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती है।

ऑक्सीडेटिव तनाव (Oxidative Stress): प्रदूषण के कण फ्री रेडिकल्स बनाते हैं, जो कोशिकाओं को क्षति पहुँचाते हैं। इसे ऑक्सीडेटिव तनाव कहते हैं। दिमाग की कोशिकाएँ ऑक्सीडेटिव तनाव के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं, जिससे वे ठीक से काम नहीं कर पातीं।

रक्त-मस्तिष्क बाधा (Blood-Brain Barrier) पर असर: दिमाग की सुरक्षा के लिए एक ख़ास 'ब्लड-ब्रेन बैरियर' होता है, जो ख़राब चीज़ों को दिमाग में जाने से रोकता है। प्रदूषण के कण इस बैरियर को कमज़ोर कर सकते हैं, जिससे नुकसानदायक रसायन और कण आसानी से दिमाग में घुस जाते हैं।

संज्ञानात्मक कार्य (Cognitive Functions) में गिरावट: लगातार प्रदूषण के संपर्क में रहने से याददाश्त, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता (फोकस), निर्णय लेने की क्षमता जैसे दिमाग के महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो सकते हैं। बच्चे और बड़े, दोनों पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ: कुछ अध्ययनों ने अवसाद (डिप्रेशन) और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को भी वायु प्रदूषण से जोड़ा है। दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।

न्यूरोडीजेनरेटिव बीमारियों का ख़तरा: लंबे समय में, प्रदूषण के संपर्क में रहने से अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी न्यूरोडीजेनरेटिव बीमारियों का ख़तरा भी बढ़ सकता है, जहाँ दिमाग की कोशिकाएँ धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं।

तो क्या बाहर कसरत करना छोड़ दें? बिलकुल नहीं! बस थोड़ी सावधानी बरतनी ज़रूरी है। अगर हवा की गुणवत्ता खराब हो, तो कोशिश करें कि उस दिन घर के अंदर व्यायाम करें, जैसे जिम में, ट्रेडमिल पर, या कोई इनडोर स्पोर्ट्स एक्टिविटी। वायु प्रदूषण के स्तर को जानने के लिए आप AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) ज़रूर देखें। अपनी सेहत का ध्यान रखें, खासकर जब बात हमारे दिमाग की हो।