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लखनऊ।। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी आंदोलन के वरिष्ठ नेता और जननायक के नाम से लोकप्रिय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर सामाजिक न्याय को लेकर बड़ा एलान किया है। सपा मुख्यालय में कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनायी गयी। इस अवसर पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कर्पूरी ठाकुर के चित्र पर माल्यार्पण किया।

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‘जयंती’ पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने

कहा कि कर्पूरी ठाकुर, डाॅ राम मनोहर लोहिया व जय प्रकाश नारायण के साथ समाजवादी

आंदोलन में जातिवादी और सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ संघर्षरत रहे।

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उन्होने कहा कि समाजवादी पार्टी उनके दिखाये रास्ते पर चलते हुये सामाजिक न्याय और

समाजवादी व्यवस्था को लेकर लगातार काम करते हुये सबको सम्मान दिलाने की लड़ाई

लड़ रही हैं।

अखिलेश यादव ने सामाजिक न्याय को लेकर जहाँ एक तरफ समाजवादियों का आहवाहन

किया वहीँ कर्पूरी ठाकुर के जन्मदिन पर समाजवादियों को सामाजिक न्याय, आबादी की

हिस्सेदारी के साथ समाज के कमजोर वर्ग को मुख्यधारा में लाने का संकल्प लेने का आह्वान किया।

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अखिलेश यादव जातियों को उनकी आबादी के अनुपात मे हिस्सेदारी और आरक्षण

देने पर हमेशा से जोर देतें रहें हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार किसानों

और नौजवानों के मुद्दों से आम जनता का ध्यान हटाना चाहती है। जातिवाद का जह़र

बीजेपी ने फैलाया। जातिवादी राजनीति करने में भाजपाइयों को महारथ हासिल है।

बीजेपी सरकार ने समाजवादी पेंशन छीनने, पोषण-मिशन की समाप्ति करके महिलाओं का अपमान किया है। स्कूलों में बच्चों के लिये स्वेटर इसलिये नहीं बंटे क्योंकि भाजपाइयों का कहना है कि जनता को कुछ भी मुफ्त नहीं मिलेगा।

पूर्व सीएम ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुये कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार सिर्फ उद्घाटन का उद्घाटन कर रही है। अवध शिल्प ग्राम का उद्घाटन समाजवादी सरकार में ही हो चुका है बावजूद इसके बीजेपी फिर से इसके उद्घाटन का उपक्रम कर रही है। बीजेपी सरकार विकास कार्यों की जांच के नाम पर पूर्व को सरकार को बदनाम करने की साजिश कर रही है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास लाज-शर्म नहीं बची है। प्रदेश में सड़कों का निर्माण रोक दिया गया हैं, स्वास्थ्य सेवायें ठप्प कर दी गयी हैं। छात्रों-नौजवानों को रोजगार देने की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है। किसानों की हालत बदहाली के कगार पर है। आलू किसान बर्बाद हो गये हैं। धान और गन्ना के किसान तबाह है।

अमीर-गरीब के बीच बढ़ती सामाजिक-आर्थिक विषमता को दूर करने में केन्द्र और राज्य सरकार की कोई रूचि नहीं है। केन्द्र सरकार ने जीएसटी, नोटबंदी और एफडीआई के द्वारा स्वदेशी आंदोलन को कमजोर किया है। केन्द्र सरकार को जाति के आधार पर जनगणना घोषित करनी चाहिये और उसे आधार से जोड़ना चाहिए। जब सबका विकास होगा तभी सबका साथ हो पायेगा।

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