मुंबई। देश में कोरोना महामारी के दौरान लोगों को कई तरह की दिक्क्तों (Side Effect) का सामना करना पड़ा है। कोरोना के बदलते स्वरुप से लोगों में कई बीमारियां देखी गयी। इस बीच कोरोना से उत्पन्न ब्लैक फंगस ने अपना कहर बरपाया। कोरोना महामारी का कहर अभी थमा भी नहीं कि अब एक और संकट खड़ा हो गया है। कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद अब मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस (avascular necrosis) यानी बोन डेथ के मामले देखने को मिले हैं।
एवैस्कुलर नेक्रोसिस (avascular necrosis) में हड्डियां गलने लगती हैं। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एवैस्कुलर नेक्रोसिस (avascular necrosis) के तीन मरीज मिले हैं, जिससे डॉक्टर चिंता में आ गए हैं। वहीं विशेषज्ञों को कहना है कि आगामी दिनों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस के मामले और बढ़ सकते हैं। ((Side Effect))
ब्लैक फंगस और एवैस्कुलर नेक्रोसिस (avascular necrosis) के मामलों की प्रमुख वजह स्टेरॉयड्स को बताया जा रहा है। बता दें कि कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए कई मामलों में स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल किया जाता है।
मेडिकल जर्नल बीएमजे केस स्टडीज में इस बीमारी पर एवैस्कुलर नेक्रोसिस ए पार्ट ऑफ लॉन्ग कोविड-19 (Avascular necrosis a part of long covid-19) शीर्षक से एक अध्ययन प्रकाशित हुआ। इसमें कहा गया कि कोरोना महामारी से बचाने के लिए जीवन रक्षक कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids) का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के चलते एवैस्कुलर नेक्रोसिस (avascular necrosis) मामलों में बढ़ोतरी होगी। अध्ययन के मुताबिक, कुछ अन्य आर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट्स ने बताया कि उन्होंने भी कोविड के बाद के रोगियों में ऐसे एक या दो मामले देखे हैं।
सिविल हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने बताया कि जो मरीज लंबे समय से कोविड-19 पीड़ित हैं और उन्हें स्टेरॉयड की जरूरत है, ऐसे में यह बीमारी भी लगना। यह बेहद चिंता का विषय है। राज्य सरकार की टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर राहुल पंडित ने कहा कि एवैस्कुलर नेक्रोसिस (avascular necrosis) के मामलों पर उनकी नजर है।