चंद्रयान-2 : लैंडर ‘विक्रम’ के सटीक स्थान को लेकर नासा ने जारी किया बयान, कही ऐसी बात कि॰॰॰

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न्यूयॉर्क॥ अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 के लैंडर को लेकर कहा कि ‘विक्रम’ के सटीक स्थान का पता लगाया जाना अभी बाकी है। नासा द्वारा जारी हालिया बयान में कहा गया है कि उन्हें ऑर्बिटर से मिले ताजा फोटो में चंद्रयान-2 के लैंडर का कोई पता नहीं चला है। नासा ने कहा कि हो सकता है जिस समय हमारे ऑर्बिटर ने फोटो ली, उस समय लैंडर किसी छाया में छिप गया हो। बता दें कि चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चंद्रयान-2 का इसरो से संपर्क टूट गया था।

नासा के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोह एडवर्ड ने कहा कि हमारे ऑर्बिटर ने 14 अक्टूबर को चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडिंग साइट की फोटो ली थी लेकिन हमें वहां से कोई ऐसी फोटो नहीं मिली जिसमें कि विक्रम लैंडर को देखा जा सके। मासूम हो कि इससे पहले नासा ने चंद्रयान-2 के लैंडर को लेकर बड़ा खुलासा किया था।

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नासा ने कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ के सटीक स्थान का पता लगाया जाना अभी बाकी है। नासा ने कुछ दिन पहले भी जारी एक बयान में कहा था कि चांद पर विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी, लेकिन चांद की जमीन पर इस स्पेसक्राफ्ट के सटीक स्थान का पता लगाना अभी बाकी है। जब इसके लैंडिंग एरिया की तस्वीरें आई थीं तो उस वक्त वहां मौसम धुंधला था और अब नासा इस लैंडर का पता लगाने के लिए एक और प्रयास करेगा, इसके लिए नासा अक्टूबर में उपयुक्त रोशनी के आने की प्रतीक्षा करेगा।

नासा का यह बयान इसके लूनर रिकॉनसिंआंस ऑर्बिटर कैमरा (एलआरओसी) द्वारा ली गई उस जगह की तस्वीरों पर आधारित था जहां विक्रम को चांद पर लैंड कराने के लिए लक्षित किया गया था। नासा के मुताबिक, विक्रम ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सिम्पीलियस एन और मेनजनीस सी केट्रर्स के बीच लैंडिंग करने का प्रयास किया था। चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का यह भारत का पहला प्रयास था। अमेरिकी एजेंसी ने कहा था कि विक्रम का यह लक्षित लैंडिंग स्थल दक्षिणी ध्रुव से करीब 600 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था।

नासा ने कहा था कि इस जगह का पता लगाने के लिए नासा ने एक छोटा सा प्रयास किया। लूनर रिकॉनसिंआंस ऑर्बिटर या एलआरओ (नासा का एक रोबोट अंतरिक्ष यान) 17 सितंबर को इस लैंडिंग साइट से होकर गुजरा और यहां की कुछ हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें भी ली हालांकि अब तक एलआरओसी टीम को यहां के आसपास लैंडर का पता नहीं चल पाया है।”

नासा ने आगे कहा था कि जब उस लैंडिंग एरिया की तस्वीरें ली गई तो वहां मौसम धुंधला था और इस वजह से उस इलाके में कई बड़े-बड़े छाये थे तो ऐसे में यह मुमकिन हो सकता है कि विक्रम लैंडर उन्हीं में से किसी शैडो (छाये) में छिपा हुआ हो। जब अक्टूबर में एलआरओ यहां फिर से गुजरेगा तब उपयुक्त रोशनी के चलते इस काम में मदद मिल सकती है और यह लैंडर की तस्वीरें लेने और इसका पता लगाने का एक और प्रयास होगा।

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