
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कहर मचा रखा है. आपको बता दें कि एक तरफ जहां पूरी दुनिया खुद को महामारी से बचाने में लगे हैं, वहीं दूसरी तरफ चीन दुनियाभर में ताबड़तोड़ निवेश करने में लगा है। महामारी से शेयर बाजार और कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट का वह हर संभव फायदा उठा रहा है।
वहीं इन दिनों कच्चा तेल सस्ता होने की वजह से वह तेल का विशाल भंडार बनाने में लग गया है। इसके अलावा, शेयर बाजारों में आई गिरावट से दुनियाभर की कंपनियों के शेयर अपने निचले स्तर पर चले गए हैं, जिसका भी चीन भरपूर फायदा उठा रहा है। सस्ती कीमतों पर शेयर खरीदकर वह एशिया के बड़े देशों की कंपनियों में ताबड़तोड़ हिस्सेदारी ले रहा है।
वहीं कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में लॉकडाउन के कारण कच्चे तेल की मांग में भारी गिरावट आने तथा रूस के साथ प्राइस वार की वजह से सऊदी अरब द्वारा बाजार में आपूर्ति बढ़ाने से पिछले महीने यूएस ऑइल फ्यूचर और ब्रेंट क्रूड की कीमतें 18 साल के निचले स्तर पर चली गईं।
बता दें कि चीन की अर्थव्यवस्था जैसे-जैसे फैली उसकी विदेशी तेल पर निर्भरता बढ़ती गई। पिछले साल उसने अपने कुल इस्तेमाल का 72% तेल आयात किया था, जो एक रेकॉर्ड है। विदेशी तेल आपूर्ति पर बढ़ती निर्भरता की वजह से पेइचिंग उन तरीकों पर फोकस कर रहा है, जिससे वह ऊर्जा की बढ़ता मांग को रोक सके.
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