कोरोना महामारी सिर्फ वैक्सीन बनने से खत्म नहीं हो पाएगी, जानिए क्या है वजह

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दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन का बेसब्री से इंतेज़ार हो रहा है. माना जा रहा है कि इस महामारी को रोकने के लिए वैक्सीन की सख्त ज़रूरत है. बता दें कि कई देशों में कोरोना वायरस की अलग-अलग वैक्सीन पर काम हो रहा है और कई देशों में ट्रायल और उत्पादन साथ-साथ शुरू किया जा चुका है. लेकिन क्या सिर्फ वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल करने से महामारी खत्म हो जाएगी?

गौरतलब है कि  वैक्सीन तैयार होने के बाद क्या हालात हो सकते हैं, इसे समझने के लिए वेंटिलेटर के आंकड़ों पर गौर किया जा सकता है. बीते महीने छपी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अफ्रीकी महाद्वीप के 41 देशों में कुल मिलाकर सिर्फ 2 हजार वेंटिलेटर हैं. जबकि अफ्रीका के 10 देश ऐसे हैं जहां अस्पतालों में एक भी वेंटिलेटर नहीं हैं. लेकिन दूसरी ओर, अमेरिका में 1 लाख 70 हजार वेंटिलेटर हैं.

वहीं अब वैक्सीन को लेकर एक्सपर्ट चिंता जता रहे हैं कि कहीं वेंटिलेटर की तरह गरीब देश वैक्सीन से भी वंचित न रह जाएं. वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कोरोना वायरस इसी तरह जिद्दी रूप में बना रहा तो कई सालों तक पर्याप्त संख्या में वैक्सीन तैयार नहीं हो पाएंगी. तब भी जब अभूतपूर्व रूप से वैक्सीन का निर्माण कार्य किया जाए.

अमेरिका में जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी वैक्सीन के लाखों डोज का उत्पादन शुरू करने की तैयारी कर रही है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये चिंता जताई जा रही है कि किन देशों को सबसे पहले वैक्सीन मिलेगी. मेडिकल साइंटिस्ट के मुताबिक, हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने और वायरस की रफ्तार धीमी करने के लिए दुनिया में 5.6 बिलियन लोगों को वैक्सीन के डोज दिए जाने की जरूरत पड़ सकती है.

कई देश वैक्सीन को लेकर राष्ट्रवादी रुख अपना सकते हैं जिसमें वे सबसे पहले अपनी आबादी को सुरक्षित करने की कोशिश करेंगे, भले ही वैक्सीन की अधिक जरूरत कहीं और हो. खासकर गरीब देशों को वैक्सीन के खर्च उठाने में दिक्कत आ सकती है.

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