लखनऊ / सिद्धार्थनगर। अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे। यह कहावत सिद्धार्थनगर जिले के बर्डपुर ब्लाक के विकास कार्यों में मची लूट-खसोट की सटीक अभिव्यक्ति है। नियमों के मुताबिक सरकारी काम का पैसा संबंधित फर्म या काम करने वाले मजदूरों को ही दिया जाता है। पर बर्डपुर ब्लाक के बीडीसी राजकुमार चौधरी के पर्सनल एकाउंट में सरकारी काम के लाखो रूपये ट्रांसफर कर दिए गए। जबकि क्षेत्र पंचायत के जिन विकास कार्यों के लिए धन आया था। जमीन पर वह विकास कार्य नदारद हैं। लाखो रूपये सिर्फ कागजों में ही खर्च हो गए और फाइलों में ही विकास की फसलें लहलहा रही हैं। इस प्रकरण की जानकारी जिले के आला अफसरों को भी है। पर कार्रवाई के नाम पर सन्नाटा पसरा है। (Corruption)
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दरअसल, बर्डपुर ब्लाक में क्षेत्र पंचायत के विकास कार्यों के लिए करोड़ो रूपये आवंटित हुए। मैटेरियल सप्लाई पंजीकृत संस्थाओं से लिया गया। जिसमें पटेल ट्रेडिंग कम्पनी भी शामिल है। पर ब्लाक में सारे नियमों को धता बताते हुए एक ही कम्पनी को 90 फीसदी से अधिक काम दिया गया। इस कम्पनी के कर्ताधर्ता अनिल कुमार चौधरी है। वह बर्डपुर ब्लाक के वर्तमान बीडीसी राजकुमार चौधरी के भाई है। (Corruption)
विभागीय सूत्रों के मुताबिक बीडीसी सदस्य के दबाव में पटेल ट्रेडिंग कम्पनी को सिर्फ अधिकतम काम ही नहीं दिया गया बल्कि उन कामों का भुगतान भी बीडीसी सदस्य राजकुमार चौधरी के भाई व निकटतम लोगों के पर्सनल एकाउंट में कर दिया गया। अकेले बीडीसी सदस्य राजकुमार चौधरी के एकाउंट में सरकारी खाते से करीब 40 लाख रूपये ट्रांसफर किए गए हैं। जबकि नियमों के मुताबिक काम का पैसा संबंधित के एकाउंट में ही दिया जाना चाहिए। (Corruption)
कब-कब किसके पर्सनल एकाउंट में दिया गया कितना पैसा
आंकड़ों की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2020-21 के सिर्फ तीन महीनों में ही करीब 90 लाख रूपये बर्डपुर ब्लाक के वर्तमान बीडीसी सदस्य राजकुमार चौधरी के एकाउंट में भुगतान किया गया। चौधरी पूर्व में भी बीडीसी सदस्य रहे हैं। इसके अलावा अनिल कुमार चौधरी और रामसेवक के भी निजी बैंक खाते में विकास कार्यों का पैसा ट्रांसफर किया गया। आपको बता दें कि अनिल कुमार चौधरी व रामसेवक, बीडीसी सदस्य राजकुमार चौधरी के भाई हैं। (Corruption)
जांच में निकलेंगे करोड़ों के घोटाले
विभागीय सूत्रों का कहना है कि यदि पटेल ट्रेडिंग कम्पनी के द्वारा सप्लाई किए गए मैटेरियल व कराए गए कामों की जांच करायी जाए तो करोड़ो रूपये का घोटाला सामने आएगा। इस बंदरबांट में खंड विकास अधिकारी नीरज जायसवाल व उनके करीबी भी शामिल हैं।
आला-अफसरों ने नहीं दिया कोई जवाब
इस प्रकरण की पूरी जानकारी जिलाधिकारी दीपक मीणा और मुख्य विकास अधिकारी पुलकित गर्ग को भी दी गयी। पर अब तक उनका रूख साफ नहीं हो सका है।
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